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तनाव के बीच चीनी-भारतीयों ने एक साथ किया एन्जॉय, संगीत कार्यक्रम में दिखे एक साथ

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भारतीय दूतावास द्वारा यहां आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में कई चीनी और भारतीय विद्वानों ने भाग लिया. कार्यक्रम बाउल संगीत और दर्शन पर केंद्रित था. बाउल एक प्रकार का आध्यात्मिक लोक गायन है जो ग्रामीण बांग्लादेश (Bangladesh) और पश्चिम बंगाल में प्रचलित है. यूनेस्को (UNESCO) ने भी इसे सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया है. स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र ने शुक्रवार को भारतीय दूतावास में इस कार्यक्रम का आयोजन किया. इसमें बाउल संगीत और दर्शन का ऑफ़लाइन और ऑनलाइन प्रसारण का अनोखा मिश्रण किया गया था.

बीजिंग में रह रहे भारतीय पत्रकार सुवम ने कहा कि बाउल पंथ, जाति और धर्म से परे है और इसमें तंत्र, सूफीवाद, वैष्णववाद और बौद्ध धर्म का मिश्रण है. भारतीय दूतावास में प्रथम सचिव (संस्कृति) राजश्री बेहरा ने कहा कि कार्यक्रम तीन भाषाओं- चीनी, अंग्रेजी और बांग्ला में था जिसमें संगीत और दर्शन के सार के साथ इसकी सार्वभौमिकता को रेखांकित किया गया. चीनी विद्वान यांग वीमिंग शोरना ने भी बाउल की विशेषताओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने बाउल पर चीनी भाषा में कई शोधपत्र प्रस्तुत किए हैं. कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण गौतम हज़रा बाउल की मंडली थी जिसने कुछ लोकप्रिय और भावपूर्ण गीत पेश किए.

भारतीय डांसर को सम्मान
भारतीय मूल के एक डांसर ने कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान अपनी डांस कक्षाओं को भांगड़ा-व्यायाम की ऑनलाइन कक्षाओं में बदल दिया जिससे प्रभावित होकर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने उन्हें पॉइंट्स ऑफ लाइट सम्मान प्रदान किया है. राजीव गुप्ता ने लोगों को स्वस्थ रखने के उद्देश्य से लॉकडाउन के दौरान मुफ्त में ऑनलाइन भांगड़ा-व्यायाम कक्षाएं संचालित की. गुप्ता का मानना है कि तेज गति और ऊंची बीट वाले पारंपरिक भारतीय नृत्य भांगड़ा करने से व्यायाम भी हो जाता है. उन्होंने इस भावना के साथ सोशल मीडिया मंचों पर भांगड़ा-व्यायाम की कक्षाएं चलानी शुरू की. इसके फलस्वरूप उन्हें पिछले सप्ताह पॉइंट ऑफ लाइट सम्मान से नवाजा गया.