केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) की टीम ने हरियाणा (Haryana) के फरीदाबाद स्थित दो प्रमुख और काफी चर्चित कंपनियों के खिलाफ बैंक से लोन लेकर फर्जीवाड़ा करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की है. आरोपी कंपनी का नाम मेसर्स एसआरएस रियल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और मेसर्स एसआरएस रियल एस्टेट लिमिटेड है. इन कंपनियों के निवेशक और निदेशक अनिल जिंदल, राजेश सिंग्ला, नानक चंद तयाल, बिशन बंसल, विनोद जिंदल और जितेन्द्र कुमार हैं.
सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर के मुताबिक, ये करीब 135 करोड़ 15 लाख रुपये के फर्जीवाड़े का मामला है. 16 जुलाई को हुई छापेमारी के दौरान सीबीआई के सूत्र ये भी बताते हैं कि कई अन्य बैंकों से जुड़े फर्जीवाड़े से संबंधित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं. जिससे ये भी पता चलता है की कई बैंकों के साथ इन दोनों कंपनियों और उसके निदेशकों ने फर्जीवाड़ा किया है. इसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ करीब 628.31 करोड़, बैंक ऑफ इंडिया के साथ करीब 223 करोड़ 79 लाख रुपये, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ करीब 125 करोड़, एक्सिस बैंक के साथ करीब 55 करोड़ के फर्जीवाड़े का मामला भी जल्द ही सीबीआई के राडार पर आ सकता है. हलांकि, 16 जुलाई को हुई छापेमारी केनरा बैंक से हुए फर्जीवाड़े से जु़ड़ा है.
इस फर्जीवाड़ा मामले में दर्ज एफआईआर के मुताबिक केनरा बैंक के कई सरकारी अधिकारियों की भूमिका काफी संदिग्ध है. लिहाजा एफआईआर में कई अज्ञात लोगों को नामजद किया गया है, जिससे की मामले की तफ्तीश के दौरान जिस किसी भी आरोपी का नाम सामने आता जाएगा उसके खिलाफ सीबीआई की टीम आगे तफ्तीश और कार्रवाई करती रहेगी. बाद में आरोपपत्र दायर होने के वक्त उन तमाम अज्ञात आरोपियों को बकायदा नामजद आरोपी के तौर पर आरोपी बनाएगी.
बैंक से लोन लेकर विशेष पोजेक्ट में नहीं लगाया पैसा
आरोप इस मामले में ये भी है की बैंक से लोन लेकर उस लोन के एमाउंट को उस विशेष प्रोजेक्ट में नहीं लगाया गया. इस राशि को किसी अन्य प्रोजेक्ट और बैंक एकाउंट में ट्रांसफर करके लोन के एमाउंट को डायवर्ट किया गया. पैसे को रूट करने संबंधी जानकारी मिलने के बाद अब तफ्तीश शुरू हो गई है.
सीबीआई रिपोर्ट
सीबीआई के सूत्रों की अगर मानें तो ये बैंक लोन फर्जीवाड़े का मामला जब पिछले साल ही वित मंत्रालय के संज्ञान में आया था, तभी पांच बैंकों को यह लिखित तौर पर नोटिस भेजा था कि इस मामले में सीबीआई (CBI) और ईडी (Enforcement Directorate) को जानकारी देकर वहां इसकी औपचारिक तौर पर शिकायत दर्ज करवाई जाए. लेकिन उस निर्देश को बैंक अधिकारियों द्वारा नजरअंदाज किया जाता रहा. शायद यही वजह है की कहीं न कहीं उन पांचो बैंको में कार्यरत कई अधिकारियों की भूमिका इस मामले में संदिग्ध थी. इसी वजह से इस मामले को तफ्तीश करवाने के लिए टाला जाता रहा जिसका फायदा एसआरएल कंपनी को होता रहा.
तीन साल पहले कई बैंकों से लिया कर्ज
इस मामले में ये भी बताया जाता है की करीब तीन साल पहले इस कंपनी ने कई बैंको से कर्ज लिया था. लेकिन बाद में अपने आप को दिवालिया घोषित करने के लिए कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में भी कई याचिका दायर कि गई थी. इस कंपनी के बारे में सीबीआई मुख्यालय में कार्यरत अधिकारी ने ये भी कहा की इस मामले में अभी तो एक मात्र एफआईआर दर्ज की गई है, लेकिन इस कंपनी से जु़डे मामले अभी भी लंबित पड़े हैं जल्द ही कई और नई शिकायतों को गंभीरता से अध्धन करने के बाद कई अन्य एफआईआर दर्ज किया जा सकता है.
फरीदाबाद के रहने वाले इस शख्स की मांगी जा सकती है मदद
इस मामले में सूत्र ये भी बताते हैं की फरीदाबाद के रहने वाले मनोज अग्रवाल से भी मदद मांगी जा सकती है और उसका भी बयान लिया जा सकता है. क्योंकि वो इस मामले में व्हिशल ब्लोवर भी हैं. उन्होंने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और जानकारी वित्त मंत्रालय को भेजा था. उसी की गंभीरता को देखते हुए इस मामले की तफ्तीश करवाने के लिए सीबीआई को जिम्मा दिया गया.
16 जुलाई को 19 लोकेशन पर छापेमारी
सीबीआई की टीम ने 16 जुलाई को दिल्ली सहित फरीदाबाद, बैंगलोर के कुछ 19 लोकेशन पर छापेमारी की , छापेमारी के दौरान सीबीआई की टीम को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और सबूत हाथ लगें हैं, जिसको जांचकर्ता अब खंगालने में जुटे हुए हैं. पता लगाया जा रहा है कि कैसे इस फर्जीवाडे को अंजाम दिया गया और कौन -कौन से आरोपी हैं जो इस पूरे बैंक लोन फर्जीवाडा मामले में शामिल हैं. इसके साथ इस मामले में और किस तरह के आरोप उन तमाम आरोपियों के खिलाफ है.