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बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब एंड सिंध बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचेगी सरकार

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भारत सरकार अब कुछ चुनिंदा सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाने की तैयारी में है. इससे सरकार के खजाने में तो धन की वृद्धि होगी ही, साथ ही आम निवेशकों को भी बड़ा फायदा हो सकता है. शेयर मार्केट से जुड़े लोग कह रहे हैं कि इससे इन बैंकों के शेयरों में नई जान आ सकती है और आम आदमी को निवेश का अच्छा मौका मिल सकता है. इस लिस्ट में कौन-कौन से बैंक हैं, और उनके शेयरों के कौन से अहम लेवल हैं, चलिए बताते हैं-
भारत सरकार कुछ सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी कम करने जा रही है. यह कदम सरकार की लंबे समय से चल रही निजीकरण योजना का हिस्सा है. इसके साथ ही यह फैसला भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के उस नियम का पालन करने के लिए भी है, जिसके अनुसार शेयर बाजार में लिस्टेड हर कंपनी में कम से कम 25 फीसदी हिस्सेदारी आम लोगों यानी पब्लिक के पास होनी चाहिए.
SEBI से रजिस्टर्ड एनालिस्ट संयम वैष (Sanyam Vaish) ने पांच ऐसे सरकारी बैंकों के बारे में बताया है जिन पर इस समय सबसे ज़्यादा ध्यान देना चाहिए. इस बारे में stocktwits.com ने एक रिपोर्ट छापी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, वैष का मानना है कि सरकार की हिस्सेदारी कम करने से इन बैंकों के शेयरों में ज्यादा कारोबार (liquidity) होगा, बड़ी संस्थाएं निवेश करेंगी और इससे शेयर की कीमतें आने वाले समय में बढ़ सकती हैं. लेकिन निवेशकों को इस दौरान शेयर के वॉल्यूम और डिलीवरी में बढ़त पर नजर रखनी चाहिए.

बैंक ऑफ महाराष्ट्र अपने मजबूत फंडामेंटल्स और कुशलता के लिए जाना जाता है. इसमें सरकार की हिस्सेदारी 86 फीसदी से ज़्यादा है. अगर सरकार हिस्सेदारी घटाती है तो बड़े निवेशक इस बैंक में दिलचस्पी ले सकते हैं, जिससे शेयर की कीमत बढ़ सकती है. विश्लेषकों के मुताबिक, इसका सपोर्ट 59 रुपये है और 66 रुपये इसके शेयर का ब्रेकआउट पॉइंट हो सकता है.

इंडियन ओवरसीज बैंक पहले से ही उतार-चढ़ाव वाला बैंक रहा है, लेकिन इसमें सुधार की संभावनाएं बताई जा रही हैं. सरकार की इसमें 96% हिस्सेदारी है और अगर निजी निवेश आया तो इसका शेयर भी अच्छा प्रदर्शन कर सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार इसका सपोर्ट 39 रुपये है और रेजिस्टेंस 45 रुपये.

यूको बैंक की खासियत इसकी ग्रामीण इलाकों में मजबूत पकड़ है. सरकार इसमें करीब 95.4 फीसदी हिस्सेदारी रखती है. अगर हिस्सेदारी घटाई जाती है तो शेयर बाजार में इसका कारोबार बढ़ सकता है. मार्केट एनालिस्ट का कहना है कि इसका सपोर्ट 32 रुपये और ब्रेकआउट जोन 36 रुपये हो सकता है.

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का नेटवर्क पूरे देश में फैला है, और इसे पहले भी निजीकरण की चर्चा में शामिल किया गया है. सरकार की इसमें करीब 93 फीसदी हिस्सेदारी है. अगर इसमें हिस्सेदारी कम होती है तो इसका शेयर भी मज़बूती से उछाल सकता है. विश्लेषक 44 रुपये को सपोर्ट और 51 रुपये को बड़ा रेजिस्टेंस मानते हैं.

पंजाब एंड सिंध बैंक पांचों में सबसे छोटा बैंक है, लेकिन इसके शेयर में बहुत ज़्यादा उतार-चढ़ाव आता है. सरकार की इसमें लगभग 98 फीसदी हिस्सेदारी है. अगर इसमें आम निवेशकों के लिए जगह बनाई जाती है तो इसमें नए निवेशक आ सकते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इसका सपोर्ट 30 रुपये और रेजिस्टेंस 35 रुपये है.