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विश्व बैंक लेने जा रहा इस साल का सबसे बड़ा फैसला! भारत पर भी होगा असर

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भारत में कारोबारी सुगमता के माहौल पर असर पड़ सकता है. दरअसल, विश्व बैंक (World Bank) ने कारोबारी सुगमता रैंकिंग (Ease of Doing Business) रिपोर्ट रिव्यू करने का फैसला लिया है. बैंक पिछले 5 साल की रिपोर्ट का रिव्यू करेगा. बता दें कि बीते 5 सालों के दौरान ही भारत इस रैंकिंग में 67 अंकों की छलांग लगाकार 63वें पायदान पर पहुंचा है. गुरुवार को विश्व बैंक ने इस संबंध में एक बयान जारी कर कहा कि अक्टूबर में जारी होने वाले कारोबारी सुगमता रैंकिंग रिपोर्ट को रोक दिया है और पिछले 5 साल के आंकड़ों का रिव्यू किया जाएगा. विश्व बैंक को इस रिपोर्ट को तैयार करने की प्रक्रिया में कई तरह की अनियमितताओं का पता चला है.

बयान में कहा गया, ‘रिव्यू के बाद सामने आए नतीजे के आधार पर हम कोई फैसला लेंगे. इन अनियमितता की वजह से जिन देशों के आंकड़ों पर कोई असर पड़ने की बात सामने आती है तो हम पूर्वव्यापी रूप से उसे ठीक करेंगे.

पिछले कुछ सालों में विवादों में घिरा विश्व बैंक का यह रिपोर्ट
विश्व बैंक की सबसे चर्चित इस रिपोर्ट को हाल के दिनों में कई तरह के विवादों में फंसना पड़ा है. जनवरी 2018 में इस बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री पॉल रोमर (Paul Romer) ने इस्तीफा देते दावा किया था कि आंकड़े जुटाने की विधिवत कार्यप्रणाली में बदलाव की वजह से इस रिपोर्ट में चिली की रैंकिंग कम हुई थी. रोमर पिछले 4 साल की रिपोर्ट की रिव्यू करने के बाद सभी रैंकिंग को नये सिरे से पेश करना चाहते थे. लेकिन, इस बीच उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

भारत की रैंकिंग पर पड़ सकता है असर
ये दोनों विवाद अब इशारा करते हैं कि भारत की रैंकिंग (Ease of Doing Business Ranking India) पर भी नये रिव्यू का असर पड़ सकता है. लाइवमिंट ने अपनी एक रिपोर्ट में 2012 से 2016 के बीच विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री रह चुके कौशिक बासु (Kaushik Basu) के हवाले से लिखा है कि भारत को आंकड़ों के विधिवत कार्यप्रणाली में बदलाव से लाभ मिला है. याद दिला दें कि साल 2016 और 2017 में भारत की रैंकिंग 130 से बढ़कर 100वें पायदान पर पहुंची थी. इन दोनों साल में चिली की रैंकिंग में गिरावट आई थी.

फरवरी 2018 को प्रोजेक्ट सिंडिकेट के एक आर्टिकल में बासु ने लिखा, ‘उदाहरण के तौर पर देखें तो 2014 और 2015 में जब भारत 142वें पायदान से 130वें पर आया था, तब डूईंग बिजनेस टीम और मैंने पाया कि 12 में से केवल 4 पायदान ही भारत में हुए बदलावों के बारे में बताते थे. यह आंकड़ों के नये कार्यप्रणाली की वजह से हुआ था.

रैंकिंग सुधारने पर केंद्र सरकार का विशेष फोकस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के कार्यकायल में भारत की रैंकिंग 2014 में 142 से बेहतर होकर 2019 में 63वें पायदान पर पहुंच गई है. केंद्र सरकार लगातार कारोबारी सुगमता की रैंकिंग बेहतर करने के लिए कई कदम उठा रही है. नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत (Amitabh Kant) ने हाल ही में कहा था कि भारत को अगले साल तक इस रैंकिंग में टॉप 50 में शामिल करना है.

विपक्ष ने साधा निशाना
विश्व बैंक के बयान के बाद विपक्ष ने भी केंद्र सरकार के कारोबारी सुगमता बेहतर करने की कोशिशों पर निशाना साधा है. कांग्रेस नेता जयराम रामेश (Jairam Ramesh) ने एक ट्वीट में लिखा, ‘मि. मोदी लगातार विश्व बैंक की रैंकिंग का ढोल बजा रहे थे. चूंकि, अब आंकड़ों में अनियमितता और कार्यप्रणाली में बदलाव की वजह से बैंक ने इस रैंकिग को जारी करने पर रोक लगा दी है. इस सरकार की ऊर्जा एक जाली रैंकिंग पर बेकार गई है, जबकि हमारे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम अभी भी पिछड़ रहे हैं.

Mr.Modi was busy drumbeating India’s improvement in World Bank indices. Now the Bank has paused further publication of these rankings due to irregularities in data & methodology. So much energy of this Govt was wasted chasing a bogus ranking,while our MSMEs continued to languish! pic.twitter.com/kDDesNWRAR— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 28, 2020



मीडिया रिपोर्ट में एक सरकारी अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि केंद्र सरकार किसी भी प्रतिक्रिया से पहले विश्व बैंक की इस इंटर्नल रिव्यू का इंतजार करेगी. उन्होंने बताया है कि सरकार ने सभी जानकारी पारदर्शी रूप से दिया है जोकि जमीनी बदलावों के आधार पर है. केंद्र सरकार को इस रिव्यू से कोई पेरशानी नहीं है.