अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ (Mike Pompeo) ने कोरोना वायरस (Coronavirus) वैश्विक महामारी के खिलाफ सामूहिक लड़ाई के बारे में विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) समेत पांच प्रमुख साझेदारों और सहयोगी देशों के अपने समकक्षों से बात की. पिछले कुछ दिनों में जयशंकर से पोम्पिओ की यह दूसरी बातचीत है. विदेश विभाग की प्रवक्ता मोर्गन ओर्टागस ने भारत, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, इजराइल और दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रियों से हुई फोन पर बातचीत का ब्यौरा देते हुए कहा कि पोम्पिओ और उनके समकक्षों ने कोविड-19 महामारी से निपटने में करीबी समन्वय जारी रखने की महत्ता पर चर्चा की.
अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने पर दिया जोर
ओर्टागस ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने अर्थव्यवस्थाओं को फिर से खोलने और दुष्प्रचार के खिलाफ अभियान में करीबी सहयोग करने की महत्ता पर जोर दिया है. इसके साथ ही भविष्य में महामारियों को फैलने से रोकने के लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता पर भी बल दिया. जयशंकर और पोम्पिओ कोरोना वायरस महामारी के दौरान एक-दूसरे के साथ नियमित संपर्क में रहे हैं. दोनों शीर्ष राजनयिकों ने समय-समय पर फोन पर एक-दूसरे से बातचीत की है.
भारत ने अमेरिका सहित इन देशों के साथ बढ़ाया सहयोग
भारत और अमेरिका ने कोरोना वायरस के खिलाफ सामूहिक प्रयासों समेत विभिन्न मुद्दों पर अपना द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाया है और साथ ही ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, इजराइल, जापान तथा दक्षिण कोरिया जैसे अपने अहम सहयोगियों एवं साझेदारों के साथ भी सहयोग बढ़ाया है. वे कोविड-19 के लिए टीका विकसित करने के मुद्दे पर भी समन्वय कर रहे हैं.
पोम्पिओ ने जयशंकर से बातचीत की
पोम्पिओ ने बृहस्पतिवार को जयशंकर से फोन पर बातचीत की. उन्होंने फिलीपीन के विदेश मंत्री से अलग से बात की. बृहस्पतिवार को व्यापक मुद्दों पर हुई बातचीत में दोनों नेताओं ने कोविड-19 महामारी, हिंद-प्रशांत और चतुष्कोणीय गठबंधन समेत क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार साझा किए.
विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया ये बयान
जयशंकर ने ट्वीट किया है कि अपने द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की. दक्षिण एशिया, अफगानिस्तान, हिंद-प्रशांत और कई मुद्दों समेत क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर विचार साझा किए. उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि कोरोना वायरस की चुनौती से निपटने पर विचार साझा किए. गौरतलब है कि भारत, अमेरिका और कई अन्य विश्व शक्तियां मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की जरूरत पर बातचीत कर रहे हैं. इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के मद्देनजर यह कवायद चल रही है.