प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र -3 (Kakrapar Atomic Reactor) के ऑपरेशन करने में सफलता हासिल करने के लिए भारतीय परमाणु वैज्ञानिकों को बधाई दी है. प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘काकरापार परमाणु संयंत्र -3 को तैयार करने के लिए हमारे परमाणु वैज्ञानिकों को बधाई! इन्होंने 700 मेगावाट केएपीपी -3 रिएक्टर को डिजाइन किया है जो मेक इन इंडिया का एक शानदार उदाहरण है. जो ऐसे कई लोगों के लिए भविष्य का रास्ता दिखाने का काम करेगा.’
बता दें इस यूनिट को अप्रैल में ही कमीशन होना था लेकिन कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते ऐसा नहीं हो पाया. दिसंबर 2019 में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि परमाणु ऊर्जा विभाग (Department of Atomic Energy ) साल 2020 से हर साल एक परमाणु रिएक्टर को चालू करेगा, जिसकी शुरुआत गुजरात के काकरापार परमाणु ऊर्जा स्टेशन की तीसरी इकाई से होगी.
काकरापार परमाणु ऊर्जा स्टेशन भारत का एक परमाणु ऊर्जा केंद्र है, जो गुजरात राज्य के व्यारा शहर में मौजूद हैं. इसमें दो 220 मेगावाट दबाव वाले पानी के रिएक्टर को भारी पानी के साथ मॉडरेटर (PHWR) के रूप में रखा गया है. KAPS-1 3 सितंबर 1992 को स्थापित किया गया और कुछ महीने बाद 6 मई 1993 को वाणिज्यिक बिजली उत्पादन शुरू किया. KAPS-2 8 जनवरी 1995 को और महत्वपूर्ण हो गया जब उसने 1 सितंबर 1995 को वाणिज्यिक उत्पादन शुरू किया. जनवरी 2003 में, CANDU ओनर्स ग्रुप (COG) ) ने KAPS को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले प्रेसराइज्ड हेवी वॉटर रिएक्टर के रूप में घोषित किया.
Congratulations to our nuclear scientists for achieving criticality of Kakrapar Atomic Power Plant-3! This indigenously designed 700 MWe KAPP-3 reactor is a shining example of Make in India. And a trailblazer for many such future achievements!
— Narendra Modi (@narendramodi) July 22, 2020
वहीं जुलाई 2015 में कूलेंट चैनल के लीक होने के बाद KAPS-2 को बंद कर दिया गया था और इसी तरह के एक मामले के चलते मार्च 2016 में KAPS-1 को बंद कर दिया. कूलेंट चैनलों और फीडर ट्यूब्स के रिप्लेसमेंट के बाद, KAPS-2 ने सितंबर 2018 में ऑपरेशनल हुआ .KAPS-1 के रखरखाव को शेड्यूल से पहले पूरा किया गया और 19 मई 2019 को संचालन शुरू हो गया.
निर्माण लागत मूल रूप से 382.52 करोड़ थी. हालांकि इसके निर्माण में 1,335 करोड़ की कीमत लगी. इनका निर्माण 3 और 4 नवंबर 2010 में शुरू हुआ था.