भारत-चीन के बीच वास्तविक निंयत्रण रेखा (LAC) पर तनाव अब लगातार कम होता जा रहा है. दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर की बातचीत के दौरान बनी सहमति जमीन पर कुछ इलाक़ों में दिखाई देने भी लगी है लेकिन चीन अब भी LAC पर अपने लाव-लश्कर के साथ मौजूद है. हालांकि चीनी सेनाएं थोड़ी पीछे जरूर हुई हैं लेकिन लेकिन पूरी तरह से पीछे नहीं हटी हैं.
चरणबद्ध तरीके से सेना को पीछे हटाने की कार्रवाई का पहला चरण गलवान, गोगरा और हॉटस्प्रिंग इलाके से पूरा हो चुका है. हालांकि सेना की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है. सेना के सूत्रों की मानें तो चीन की सेना LAC से डेढ़ से दो किलोमीटर तक पीछे हटी है. पहले भारतीय सेना ने इसकी पुष्टी की और उसके बाद ही अपनी सेना को वहां से पीछे किया.
फिलहाल LAC से लेकर जितनी दूर दोनों सेना पीछे गई हैं, उस इलाके बफ़र ज़ोन बनाया गया है. इस इसाके में तय समय तक कोई भी सेना नहीं आएगी. वहीं चीन की हर हरकत पर भारतीय सेना ने अपनी पैनी नजर बनाई हुई है और लगातार इस बात को मॉनिटर कर रही है कि चीन आखिर और क्या हरकत कर सकता है. मसलन गलवान इलाके में चीन की तरफ से जो रास्ता बनाया है वो अभी पत्थरों वाला कच्चा रास्ता है और अगर इस रास्ते को वो पक्का करता है तो समझा जाएगा कि वो लंबे समय के लिए वहां डटने आया है.
साथ ही चीन ने डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया को पैंगाग पर भी आंशिक रूप से शुरू किया है. कुछ सेना को कम कर फिंगर 4 से फिंगर 5 तक ले गए हैं लेकिन चीन को फिंगर 8 के पीछे सिरजाप प्लेन तक भेजना है, जहां वो अप्रैल में था. भारत के लिए ये सबसे चुनौती वाला काम होगा. फिलहाल पहले चरण की लगातार मॉनिटरिंग की जाएगी. क्योंकि चीन पर भरोसा करना अब आसान नहीं होगा.
दूसरे स्टेप के लिेए बाकायदा दोनों देशों के कमांडर स्तर की आने वाले दिनों में बातचीत भी होगी. खुद चीन के विदेश मंत्री ने इस बात की जानकारी दी है. दरअसल देपसांग प्लेन सहित कई इलाके में चीन की तरफ से भारी संख्या में आर्म्ड वेहिकल, टैंक, आर्टिलरी और रॉकेट फोर्स की भी तैनाती है. उसे कम करना इस डिसेएजमेंट के दूसरे चरण के तौर पर देखा जा रहा है. यानी डीएस्किलेशन. सूत्रों की मानें तो चीन डिसएजमेंट के लिए तो राजी है लेकिन डीएस्किलेशन को वो कतई तैयार नही.