पाकिस्तान ने साल 2025-26 के बजट में अपने रक्षा खर्च में 18 फीसदी की बढ़ोतरी करते हुए इसे 2.5 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा कर दिया है. ये फैसला उस वक्त आया है, जब भारत के इस पड़ोसी मुल्क की आर्थिक हालत बेहद नाज़ुक है. महंगाई 38 फीसदी से ऊपर, विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 3 अरब डॉलर और IMF के सख्त दबाव के बीच ऐसा फैसला लेना बर्बादी की तरफ एक और कदम हो सकता है.
सरकार का तर्क है कि अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले और फिर लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पर बढ़ी गोलीबारी के बाद सुरक्षा बढ़ाना जरूरी हो गया था. लेकिन जानकार मानते हैं कि यह फैसला पाकिस्तान की डगमगाती अर्थव्यवस्था को और कमजोर कर सकता है.
बजट का यह चेहरा क्यों चिंता बढ़ा रहा है?
पाकिस्तान में पहले से ही बेरोजगारी और महंगाई से लोग बेहाल हैं. ऊपर से अब सरकार सैन्य तैयारी और महंगी पनबिजली परियोजनाओं में करोड़ों डॉलर झोंक रही है. आर्थिक विशेषज्ञ क़ैसर बंगाली कहते हैं, “रक्षा और डायमर-भाषा जैसे मेगा प्रोजेक्ट्स पर इतना खर्च करना बहुत जोखिम भरा है. इसका सीधा असर आम पाकिस्तानी की जेब और ज़रूरी सेवाओं पर पड़ेगा.”