बेंगलुरु बेस्ड निवेश ऐप ग्रो (Groww) अब शेयर बाजार में उतरने की तैयारी कर रही है. ग्रो ने अपने IPO की प्रक्रिया शुरू कर दी है, वह भी गुपचुप तरीके से. गुपचुप इसलिए, क्योंकि जब भी कोई कंपनी आईपीओ लाती है तो अपने डॉक्टूमेंट्स सबके सामने लाए जाते हैं, लेकिन ग्रो ने ऐसा नहीं किया. उसने केवल SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) के सामने पेश किए हैं. ऐसा तब किया जाता है, जब कोई कंपनी SEBI की राय लेती है.
ग्रो के मालिकाना हक वाली कंपनी बिलियनब्रेन्स गैराज वेंचर्स लिमिटेड (Billionbrains Garage Ventures) ने कहा है कि यह प्रक्रिया SEBI के नियमों के तहत हो रही है. इस IPO से पहले कंपनी करीब 150 मिलियन डॉलर (करीब 1,250 करोड़ रुपये) सिंगापुर की GIC से जुटा रही है, और पूरी फंडिंग करीब 250–300 मिलियन डॉलर हो सकती है. इस डील के बाद ग्रो की कुल वैल्यूएशन 7 बिलियन डॉलर (करीब 58,000 करोड़ रुपये) आंकी गई है. मनीकंट्रोल ने इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट छापी है.
ब्रोकर कंपनियों के मुश्किल टाइम
ग्रो का शेयर बाजार में आने का यह कदम ऐसे वक्त पर उठाया जा रहा है जब ब्रोकर कंपनियों के लिए हालात आसान नहीं हैं. नियम सख्त हो रहे हैं, निवेशकों की संख्या घट रही है और ट्रेडिंग पर टैक्स का बोझ बढ़ रहा है. ग्रो और इसके जैसे ऐप्स को जेरोधा (Zerodha) और अपस्टॉक्स (Upstox) जैसी कंपनियों से मुकाबला करना पड़ता है. अप्रैल महीने में ही ग्रो के करीब 75,000 एक्टिव निवेशक घट गए, और जेरोधा को भी 55,000 से ज्यादा निवेशकों ने छोड़ दिया.