दुर्ग के इंजीनियरिंग कॉलजे बीआईटी में पदस्थ इंजीनियर आर श्रीनिवास ने अनोखी लाइटिंग जैकेट बनाई है। उनका दावा है कि इस तरह की जैकेट भारत ही नहीं विश्व में पहली बार तैयार की गई है। यह जैकेट रेडियो ट्रांसमीटर के थ्रू ट्रैफिक सिग्नल से सिंक्रनाइज हो जाएगी। इसके बाद जैसी सिग्नल की लाइट जलेगी, वही लाइट जैकेट में जलेगी।
दुर्ग एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव ने इस जैकेट को खुद पहनकर लाइव डेमो किया। वो इस अविष्कार से काफी खुश हुए। उन्होंने कहा कि पूरे दुर्ग जिले में कम से कम 400 जैकेट की आवश्यकता पड़ेगी। जल्द ही इसका ऑर्डर दुर्ग पुलिस द्वारा दिया जाएगा। इसके बाद सभी सिग्नल में ट्रैफिक के सिपाही ये हाइटेक जैकेट पहनकर ट्रैफिक को कंट्रोल कर पाएंगे।
इस जैकेट को पहनने से ट्रैफिक का सिपाही रात के अंधेरे में भी बिना डरे रोड के बीच में जाकर गाड़ियों को रोक सकेगा। इतना ही नहीं सड़क के बीच सिपाही की लाइट जैकेट का रंग देखकर वाहन चालक भी अपनी गाड़ी को उसी के अनुरूप चला सकेंगे। दुर्ग एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव इस जैकेट को पहनकर दुर्ग के पटेल चौक में लगभग दो घंटे तक घूमे। जैसे ही ट्रैफिक सिग्नल लाल होता था उनकी जैकेट की लाइट भी सिग्नल से सिंक्रनाइज होकर लाल जलने लगती थी और सिग्नल ग्रीन या यलो होते ही जैकेट की लाइट भी बदल जाती थी।
10 वोल्ट के करंट से जलती है जैकेट
इंजीनियर द्वारा बनाई गई जैकेट की लाइट महज 10 वोल्ट से भी कम एनर्जी में जलती है। इस जैकेट में दो बैट्री लगाई गई है। एक बैट्री डेढ़ घंटे तक चलती है। टोपी की लाइट को भी जैकेट से ही जोड़ा गया है। डेढ़ घंटे बाद दूसरी बैट्री का उपयोग किया जा सकता है और डिस्चार्ज बैट्री को चार्ज किया जा सकता है। इसमें ट्रैफिक के सिपाही को किसी भी तरह से करंट या अन्य कोई खतरा नहीं हो सकता है।
बीआईटी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में सीनियर इंस्पेक्टर के पद पर पदस्थ आर श्रीनिवास के मुताबिक यह अपनी तरह का एकदम अलग प्रयोग है। लाइट वाली जैकेट तो कई लोगों ने बनाई होगी, लेकिन यह एकदम अलग जैकेट है। इसमें रेडियो ट्रांसमीटर का उपयोग किया गया है। उसके जरिए जैकेट को ट्रैफिक सिग्नल की लाइट से सिंक्रनाइज किया जाता है। ट्रैफिक सिंग्नल और जैकेट में लगे रिसीवर और ट्रांसमीटर से दोनों लाइट एक रंग में एक साथ जलती है। उन्होंने कहा कि गूगल व अन्य जगहों में उन्होंने सर्च किया है, लेकिन इस तरह की जैकेट अब तक कहीं नहीं बनी है।