छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को धरसींवा में झीरम घाटी के शहीदों की प्रतिमा का अनावरण करते हुए शहीद स्मारक उद्यान का लोकार्पण किया। झीरम में हुए नक्सली हमलों में अपनी जान गंवाने वाले शहीद विद्याचरण शुक्ल, शहीद नंद कुमार पटेल, शहीद महेन्द्र कर्मा, शहीद योगेन्द्र शर्मा, शहीद उदय मुदलियार और शहीद प्रफुल्ल शुक्ला की प्रतिमाएं शहीद स्मारक उद्यान में स्थापित की गई हैं।
शहीदों की प्रतिमा के अनावरण के बाद मुख्यमंत्री ने सभी शहीदों को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के विकास में सभी शहीद जनप्रतिनिधियों का योगदान अतुलनीय करार देते हुए कहा कि ये अमर शहीद प्रदेशवासियों के दिलों में सदैव जीवित रहेंगे।
2013 में हुआ था झीरम घाटी हत्याकांड
25 मई 2013 के दिन कांग्रेस ने सुकमा में परिवर्तन रैली आयोजित की थी। रैली खत्म होने के बाद कांग्रेस नेताओं का काफिला सुकमा से जगदलपुर जा रहा था। काफिले में करीब 25 गाड़ियां थीं, जिनमें 200 नेता सवार थे। सबसे आगे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल और कवासी लखमा अपने-अपने सुरक्षा गार्ड्स के साथ थे। इनके पीछे महेन्द्र कर्मा और मलकीत सिंह गैदू की गाड़ी थी। इस गाड़ी के पीछे बस्तर के तत्कालीन कांग्रेस प्रभारी उदय मुदलियार कुछ अन्य नेताओं के साथ चल रहे थे। देखा जाए तो छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सभी टॉप नेता इस काफिले में शामिल थे।
शाम करीब 4 बजे काफिला झीरम घाटी से गुजर रहा था। यहीं पर नक्सलियों ने पेड़ों को गिराकर रास्ता बंद कर दिया। गाड़ियां रुकीं और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, पेड़ों के पीछे छिपे 200 से ज्यादा नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। नक्सलियों ने सभी गाड़ियों को निशाना बनाया। नंदकुमार पटेल और उनके बेटे दिनेश की मौके पर ही मौत हो गई। करीब डेढ़ घंटे तक फायरिंग होती रही।
शाम के करीब साढ़े 5 बजे नक्सली पहाड़ों से उतर आए और एक-एक गाड़ी चेक करने लगे। जो लोग गोलीबारी में मारे जा चुके थे, उन्हें फिर से गोली और चाकू मारे गए, ताकि कोई भी जिंदा न बचे। इसी बीच एक गाड़ी से महेन्द्र कर्मा नीचे उतरे और कहा कि ‘मुझे बंधक बना लो, बाकियों को छोड़ दो’। नक्सलियों ने महेंद्र कर्मा की थोड़ी दूर ले जाकर बेरहमी से हत्या कर दी। हमले में वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल ने भी अपनी शहादत दी थी। 32 लोगों की जान हमले में चली गई थी।