वैसे तो आज की युवा पीढ़ी में टैटू बनवाना फैशन बन गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं, बस्तर में टैटू प्रथा यहां की संस्कृति का एक हिस्सा है। जिसे स्थानीय बोली में गोदना (टैटू) भी कहा जाता है। बदलते वक्त के साथ पारंपरिक टैटू की यह प्रथा भी सिमटती जा रही थी, लेकिन अब एक बार फिर से बस्तरिया टैटू लोगों की पसंद बन गया है। राजधानी रायपुर में आयोजित राज्योत्सव कार्यक्रम में बस्तरिया टैटू का स्टॉल लगाया गया है। यहां स्थानीय युवा लोगों के शरीर में पारंपरिक टैटू बना रहे हैं।
दरसअल, रायपुर में आयोजित राज्योत्सव में बस्तर के गोदना कलाकार अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित राज्योत्सव में बस्तर के युवाओं ने ट्राइबल टैटू का स्टॉल लगाया है। जो लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। बस्तर आर्ट गैलरी में लगे ट्राइबल टैटू को लोग काफी पसंद कर रहे हैं और बस्तर के प्रसिद्ध प्राचीन गोदना कलाकृतियों को टैटू के रूप में बनवा रहे हैं।
बस्तर के रहने वाले धनुर्जय बघेल का कहना है कि, 12वीं तक पढ़ाई के बाद वे रोजगार की तलाश कर रहे थे। गोदना में उन्हें पहले से ही दिलचस्पी थी। जिसकी वजह से उन्होंने जिला प्रशासन की मदद से बादल एकेडमी में 20 दिनों तक गोदना आर्ट की ट्रेनिंग ली। उनके साथ 20 और युवाओं ने ट्राइबल टैटू का प्रशिक्षण लिया है। धनुर्जय के साथ चार युवाओं ने राज्योत्सव में स्टॉल लगाकर लोगों तक बस्तर की गोदना संस्कृति को पहुंचाने का काम तो कर ही रहे हैं। वहीं टैटू आर्टिस्ट के रूप में उनकी पहचान भी बना रहे है।
धनुर्जय ने बताया कि अपनी पढ़ाई के बाद उन्हें रोजगार की चिंता थी। लेकिन राज्य सरकार के प्रयासों से उन्हें और उनके जैसे अन्य युवाओं को अपने पसंद के काम की ट्रेनिंग मिली और अब उनके पास रोजगार है। धनुर्जय के साथ उनके तीन युवा साथी जोगी राम बघेल, सुखमन नाग और संदीप बघेल आए हैं। धनुर्जय और उनकी टीम से अब तक लगभग 400 लोगों ने टैटू बनवाया है। ट्राइबल टैटू बनाने वाले युवा गोदना संस्कृति को युवाओं में प्रचलित तो कर ही रहे हैं साथ ही टैटू बनाने के बाद टैटू की देखभाल के तरीके भी बता रहे हैं, जिससे उन्हें किसी भी तरह के संक्रमण की परेशानी न हो।
बस्तर की गोदना कला
बस्तर की संस्कृति में गोदाना काफी प्रचलित है। उनका मानना है कि गोदना ही एक ऐसी चीज है जो मरने के बाद इंसान के साथ जाती है। यानी कि गोदना पृथ्वी लोक से स्वर्ग तक साथ जाने वाला एक अमूल्य आभूषण है। बस्तर में गोदना को आभूषण की तरह माना जाता है, यहां गोदना का काम ओझा जाति के लोग करते हैं, इन्हें नाग भी कहते हैं। बस्तर में महिलाओं को गोदना अति प्रिय है, पुरुष भी गोदना करवाते हैं। बस्तर के मैदानी इलाके में बुंदकिया गोदना अधिक लोकप्रिय है।