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केंद्र सरकार के खिलाफ राजभवन पहुंचे आदिवासी विधायक:वन संरक्षण नियम में बदलाव रोकने के लिए हस्तक्षेप की मांग, कहा – केंद्र सरकार से बात कीजिए

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कांग्रेस के आदिवासी विधायकों ने वन संरक्षण नियम में बदलाव के मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ नया मोर्चा खोल दिया है। आबकारी मंत्री कवासी लखमा की अगुवाई में विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को राज्यपाल अनुसूईया उइके से मिलने पहुंचा। विधायकों ने नियम बदलने से जुड़ी आशंकाओं पर चर्चा की। विधायकों ने राज्यपाल से कहा, वे आदिवासी क्षेत्रों की संरक्षक है। ऐसे में केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर बात करें।

मुलाकात के बाद प्रदेश के उद्योग एवं आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने बताया, केंद्र सरकार ने वन (संरक्षण) नियम में बदलाव के लिए अधिसूचना जारी की है। इसमें कई ऐसे प्रावधान हैं जो वन अधिकार कानून और पेसा कानून के प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे हैं। इस बदलाव से इस बात का खतरा मंडराने लगा है कि जंगल की जमीन पर बड़ी कंपनियों का कब्जा हो जाएगा। इससे सबसे अधिक नुकसान अपनी धर्म, संस्कृति, पर्यावरण और आजीविका के लिए वनों पर आश्रित आदिवासी समुदाय को होना है। ऐसे में सभी विधायकों ने मिलकर राज्यपाल से मुलाकात की है। उनसे कहा है कि वे पांचवी अनुसूची वाले क्षेत्रों की संविधानिक संरक्षक है। अगर केंद्र सरकार के किसी कानून से इस क्षेत्र के लोगों के अधिकार प्रभावित होते हैं तो राज्यपाल को हस्तक्षेप करना चाहिए। लखमा ने कहा, उन्होंने राज्यपाल से कहा कि वे भी हमारे साथ दिल्ली चलकर केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर बात करें। लखमा ने बताया, राज्यपाल अनुसूईया उइके ने राष्ट्रपति से बातचीत करने का आश्वासन दिया है।

अगले महीने रायपुर में आदिवासी सम्मेलन की तैयारी

आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने बताया 12-13 सितम्बर को रायपुर में आदिवासी समाज का राष्ट्रीय स्तर का एक सम्मेलन प्रस्तावित है। इसमें वन (संरक्षण) नियम के खतरे से जुड़े बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा की जानी है। इस सम्मेलन में देश भर से आदिवासी समाज के प्रतिनिधि आएंगे। इसी सम्मेलन में आंदोलन को आगे बढ़ाने की रणनीति बनेगी। उन्होंने कहा, आदिवासी समाज इस मुद्दे पर बड़ी लड़ाई लड़ने को तैयार है।

राज्य सरकार ने विधानसभा में पारित किया है विरोध का प्रस्ताव

विधानसभा के मानसून सत्र में वन मंत्री मोहम्मद अकबर एक शासकीय संकल्प लेकर आए थे। इसमें कहा गया, वन क्षेत्रों में गतिविधियों की अनुमति के प्रावधानों को बदले जाने से वन क्षेत्रों में निवासरत अनुसूचित जनजाति और अन्य वनवासियों का जीवन और उनके हितों को प्रभावित करेगा। ऐसे में यह सदन केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन (संरक्षण) नियम-2022 से असहमति व्यक्त करते हुए वापस लेने की अनुशंसा करता है। भाजपा विधायकों ने इस संकल्प का विरोध किया। लेकिन सदन ने ध्वनिमत से यह संकल्प पारित कर दिया।