रामानुजगंज ! बलरामपुर जिले का चर्चित एनिकट जो कन्हर नदी पर बना है यह एनीकट निर्माण के समय से ही इसके गुणवता के लिए संदेहात्मक रहा है, रामानुजगंज के ही कई लोगो ने कुछ समय भी इसके गलत तरीके से बनाये जाने पर आपति की थी, मगर उस समय की भाजपा सरकार ने किसी की भी बात नही मानी परिणामस्वरूप पांच करोड़ की लागत का एनिकट नौ करोड़ से ऊपर खर्च हो जाने के बाद भी अपनी उपयोगिता पूरी तरह सिद्ध नही कर पा रही है। एक तरह से कहे तो यह एनिकट जल संसाधन विभाग के लिए सफ़ेद हाथी एवं नगरवासियों के लिए सरदर्द बन गया है। एनिकट के मरमत के नाम पर जल संसाधन विभाग द्वारा कई बार राशी का आहरण किया गया, फिर भी एनिकट गर्मी के दिनों में नगरवासियों की प्यास बुझाने में सक्षम नही हो पा रहा है। गर्मी के दिनों में पानी सप्लाई के लिए नगर पंचायत को कन्हर नदी में डबरी खोदवाना पड़ता है। जल संसाधन विभाग के कर्मचारियों की लापारवाही के कारण जब गेट को खोलना चाहिए तो नही खोला जाता और जब बंद करना चाहिए तो बंद नही किया जाता। इसका उदाहरण वर्तमान में एनिकट परिसर में 5 से 8 फीट रेत भर गया है, जिससे एनीकट का स्टोरेज खत्म हो गया है। इंजीनियरिंग त्रुटि के कारण एनीकट में रेत जमा हो गया। एनीकट में 5 से 8 फीट रेत भर गया है, जिससे स्टोरेज खत्म हो गया है। स्टोरेज खत्म होने का खामियाजा नगरवासियों को भुगतना पड़ रहा है। यदि जल संसाधन विभाग एवं नगर पंचायत पहल कर एनीकट खाली कराता तो एनीकट का स्टोरेज बढ़ सकता था एवं यह नगरवासियों के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। महामाया मंदिर के सामने उटवा पत्थर जो करीब 12 फीट कनहर नदी के तल से उठा हुआ था, वह एनीकट बनने के बाद अब दिखना बंद हो गया है इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि एनीकट में कहीं-कहीं 12 फीट तक रेत भर गया है जो निकलवाना अति आवश्यक है।अदभुत एनिकट विभाग के लिए सफ़ेद हाथी – क्या यह एनिकट जल संसाधन विभाग के लिए सफ़ेद हाथी बन गया है। बार बार मरमत कराने के बाद भी कोई सुधार तो तत्काल दिखता है, मगर फिर वही ढाक के तीन पांच फिर जाँच, इस्टमीट, अधिकारियो का दौरा, अस्वासन ही दिया जा रहा है। मरमत के नाम पर पैसे निकाले जा रहे है।