रघुनाथनगर ! सघन वन जलवायु व पर्यावरण के लिए उचित तो है साथ ही इन्सान एवं वनों में रहने वाले जानवरों के लिए भी प्राणवायु जैसा काम करते है कहा जाता है की वन है तो ही जीवन है वनों की सुरक्षा एवं नये सिरे से पौधे लगाकर वनों को घना व हरा भरा रखने के लिए सरकार लाखो करोडो रूपये से ज्यादा खर्च करती है वनों के रख रखाव के लिए अधिकारी कर्मचारीयो भरमार है इसके वावजूद भी अगर वन समाप्त हो रहे है तो गलती किसकी है। वन विभाग के कई नर्सरी नाम के तो है मगर उनकी हालत काफी ख़राब है। जाहिर है नर्सरी रख रखाव एवं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जा रही है बलरामपुर वन मंडल के रघुनाथ नगर वन परिक्षेत्र में नर्सरी के पौधे लगाने के नाम पर भ्रष्टाचार का ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है रघुनाथनगर वन परिक्षेत्र के ग्राम लंगडी रक्साखांड़ के नदी तट पर रकबा 25 हेक्टेयर कक्ष क्रमांक Rf 503 मैं मिश्रित प्रजाति के पौधे जैसे आंवला, जामुन, महुआ, आम और करंज के 27500 पौधों का वृक्षारोपण किया गया है लेकिन सच्चाई यह सामने आ रही है कि वहां पर जीवित पौधों का नामोनिशान कुछ ही बचा हुआ है और लगभग 5 से 7000 पौधे की पोटली इधर-उधर जंगलों में बिखरा पड़ा हुआ है कहने को तो शासन वन एवं जलवायु परिवर्तन के लिए पौधों का वृक्षारोपण कर लाखों करोड़ों रुपए खर्च करती है जिसमें पौधों के बचाव हेतु सीमेंट के खूंटी में कटीली तार लगाकर घेराव किया जाता है ताकि छोटे पौधों को पालतू जानवरो से बचाया जा सके वर्ष 2020 2021 मैं कक्ष क्रमांक ,Rf 503 27500 पौधे का वृक्षारोपण कर शासन रजिस्टरो में फाइलिंग कर ली है लेकिन इसके विपरीत अगर जांच हो तो 27500 पौधे की जगह पर 5 से 7000 पौधे जीवित हो सकते हैं यहां तक की शासन पौधों की सिंचाई के लिए बांध तक बनाती है लेकिन ना तो पौधे को पानी मिल पाता है और ना ही इन पौधों की देखरेख हो पाती है यहां पर पदस्थ चौकीदार, सिपाही, दरोगा ड्यूटी के नाम पर जीरो हैं तभी तो इन पौधों का देखरेख नहीं हो पाता और पौधे जीवित रहने के बजाय पानी के अभाव में मर जाते हैं यही सिलसिला हर वर्ष चलता है लेकिन इसकी जिमेदारी लेना कोई अधिकारी आखिरकार क्यों नहीं चाहता, सिपाही, दरोगा, रेंजर या जिले के उच्च अधिकारी के बिरुद्ध शासन को चाहिए कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारियों पर जांच बैठाकर कार्यवाही करे ताकि जो अधिकारी कर्मचारी पौधे के रख रखाव के अभाव में असमय ख़त्म हो जा रहे है उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो इन्हीं भ्रष्ट अधिकारियों के चलते ही हमारे पर्यावरण जलवायु के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और शासन द्वारा इतना रुपया खर्च होने के बाद भी हजारों लाखों पौधे तो लग जाते हैं लेकिन कुछ ही पौधे जीवित रह पाते हैं कई पौधे तो कागजो में ही लग जाते है बड़े भी होते है मर भी जाते है जाहिर है पौधे लगाया हुआ बताये जाते है मगर जगह पर दिखते नही है इसके लिए खर्च की गई राशी कहा गई पता नही चलता। जंगल का जंगल आग से जलकर खाक हो जा रहा है पश्चिमी वन परिषद रघुनाथनगर के आसपास के जंगलों में हर वर्ष से ज्यादा इस वर्ष आग लगी है और कोसों दूर जंगलों के स्थान पर बड़े-बड़े पेड़ और पत्थर दिखाई देते हैं क्या छत्तीसगढ़ सरकार इन्हीं पौधों और जंगलों को नष्ट करने के लिए जंगल विभाग में पदस्थ करोड़ों रुपए वेतन के रूप में इन्हें देती है।
