Home देश विधानसभा की समितियों में अब निष्क्रिय विधायकों की No Entry, सचिवालय ने...

विधानसभा की समितियों में अब निष्क्रिय विधायकों की No Entry, सचिवालय ने तैयार किया प्रस्ताव

15
0

मध्यप्रदेश विधानसभा (MP Assembly) से जुड़ी अलग-अलग विभागों की समितियों में अब उन विधायकों को जगह नहीं मिलेगी जो समिति के सदस्य होने के बाद भी बैठक में शामिल नहीं होते हैं. विधानसभा सचिवालय ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है.

विधानसभा सचिवालय अब उन विधायकों को समितियों में शामिल नहीं करेगा जो बैठक और गतिविधियों में शामिल नहीं होते हैं. विधानसभा सचिवालय की जानकारी में शुरुआती तौर पर जो आंकड़ा सामने आया है उससे पता चलता है कि 25 फ़ीसदी विधायक एक बैठक में शामिल नहीं हुए. ऐसे सभी विधायकों को अब समितियों के पुनर्गठन में जगह नहीं दी जाएगी.

एक भी बैठक में शामिल नहीं हुए ये विधायक
विधानसभा स्पीकर गिरीश गौतम के मुताबिक विधानसभा सचिवालय इस मामले की जानकारी जुटा रहा है. शुरुआती जानकारी के मुताबिक पक्ष और विपक्ष की तरफ से मिलने वाले विधायकों के नाम को समिति में शामिल किया जाता है. यह समिति की जिम्मेदारी होती है कि अपने विषय की बैठक कर मुद्दों का समाधान करें. लेकिन विधायकों के दिलचस्पी नहीं दिखाने के कारण समितियों के कामकाज पर असर पड़ता है. इसलिए विधानसभा सचिवालय यह तय कर रहा है कि ऐसे विधायकों को समितियों में शामिल नहीं किया जाएगा. इस संबंध में जल्द ही पक्ष और विपक्ष के नेताओं को पत्र जारी किया जाएगा.

कांग्रेस-बीजेपी दोनों सहमत
विधानसभा सचिवालय के इस प्रस्ताव से बीजेपी और कांग्रेस दोनों सहमत हैं. मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया ने कहा यह जरूरी है कि जो विधायक समिति के सदस्य हैं वह उसमें शामिल हों और यदि वो शामिल नहीं होते है तो मतलब साफ है कि उनकी समिति की गतिविधियों में दिलचस्पी नहीं है. ऐसे में नया प्रस्ताव स्वागत योग्य है. विपक्ष ने भी विधानसभा सचिवालय की इस पहल का स्वागत किया है. पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा समितियों की महत्वपूर्ण बैठकों में शामिल होना सदस्य की जिम्मेदारी है. यदि कोई सदस्य अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाता है तो इस तरीके के प्रस्ताव का स्वागत है.

विधायकों का रवैया चिंताजनक
मध्य प्रदेश विधानसभा के कामकाज को गति देने के लिए करीब 20 समितियों का गठन किया गया है. इनके पास विधानसभा से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों को ले जाया जाता है. आम आदमी से जुड़े मुद्दों को लेकर भी समितियां विचार कर फैसला करती हैं. समितियों को इस बात का अधिकार होता है कि वह विधानसभा में उठने वाले मुद्दों पर विभागीय अफसरों से सवाल-जवाब करें और संबंधित मामलों का समाधान करें. समिति सदस्य प्रदेश का दौरा कर जनहित से जुड़े मुद्दों पर फीडबैक लेते हैं. लेकिन विधानसभा की महत्वपूर्ण समितियों में ही दिलचस्पी नहीं होना चिंताजनक है. विधानसभा में समितियों का गठन 1 साल के लिए किया जाता है. मार्च में समितियों का पुनर्गठन होना है. ऐसे में विधानसभा सचिवालय की 1 महीने पहले शुरू हुई कवायद कई विधायकों के लिए भारी साबित हो सकती है.