देश के संविधान निर्माण और किसानों के हित को लेकर दुर्ग निवासी घनश्याम सिंह गुप्ता का अहम योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने संविधान के हिंदी प्रारूप समिति का अध्यक्ष रहकर न सिर्फ संविधान को हिंदी भाषा में भारतियों को पढ़ने और समझने के लिए तैयार किया, बल्कि किसानों के हित के लिए भी लड़ाई लड़ी। आज उन्हीं के संघर्ष की बदौलत कृषि आय को आयकर से मुक्त रखा गया है।
घनश्याम सिंह गुप्ता के पोते डॉ. राघवेंद्र सिंह गुप्ता से विशेष बातचीत की। उन्होंने बताया कि भारत देश का संविधान अंग्रेजी भाषा में तैयार किया गया था। इस समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे। समिति में घनश्याम सिंह गुप्ता सदस्य के रूप में थे। इसके बाद देश के पहले राष्ट्रपित डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि भारत का संविधान इंग्लिश में है तो देश के लोग उसे कैसे समझ और पढ़ पाएंगे। इसलिए उन्होंने इसे हिंदी में लिखे जाने के लिए एक समिति बनाई। इस समिति में कई भाषाविद सदस्य थे। इस समिति का अध्यक्ष घनश्याम सिंह गुप्ता को बनाया गया और डॉ. भीम राव अंबेडकर इस समिति में बतौर सदस्य थे।
संविधा लागू हो जाने के बाद जब पंडित जवाहर लाल नेहरू पहले प्रधानमंत्री बने तो उनकी कैबिनेट ने बिल पास किया,जिसमें कृषि आय को आयकर के दायरे में लाने का प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव का घनश्याम सिंह गुप्ता ने विरोध किया। उनके विरोध को स्वीकार करते हुए कृषि आय को आयकर के दायरे से बाहर रखा गया, जो कि आज तक कायम है। राघवेंद्र सिंह गुप्ता का कहना है कि किसानों के हित में किया गया उनके दादा जी का यह योगदान हमेशा याद किया जाएगा।
आज भी संजोकर रखे हैं वह कुर्सी, जिसमें बैठे थे गांधी
72 वर्षीय डॉ. राघवेंद्र सिंह गुप्ता का कहना है कि उनके घर में लकड़ी की एक कुर्सी है, जिसे उन्होंने काफी संजोकर रखा है। जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी दुर्ग आए और घनश्याम सिंह गुप्ता के मकान में ठहरे थे तो वह उसी कुर्सी में बैठे थे। राघवेंद्र गुप्ता का कहना है कि सन 1936 के आसपास जब महात्मा गांधी दुर्ग आए थे तो उनके दादा जी उन्हें लेकर आर्य समाज स्कूल और हरिजन पारा लेकर गए थे। इसके बाद वह बैथल स्कूल गए थे। उन्होंने मोती पार्क में एक विशाल जनसभा को भी संबोधित किया था। आज उसी मोती पार्क को मोती कॉप्लेक्स के नाम से जाना जाता है।
राघवेंद्र सिंह गुप्ता ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से एक मांग की है। उनका कहना है कि घनश्याम सिंह गुप्ता सीपीएम बरार के विधानसभा अध्यक्ष थे। मैं यह चाहता हूं कि उनका एक तैलचित्र छत्तीसगढ़ विधानसभा में लगाया जाए। इसका जो भी खर्च होगा हम लोग उठाने के लिए तैयार हैं। यह मांग हमने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और प्रदीप चौबे से किया, लेकिन इन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया है। मैं समझता हूं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस पर जरूर ध्यान देंगे।
घनश्याम सिंह गुप्ता का परिवार आज भी रहता है दुर्ग में
घनश्याम सिंह गुप्ता के बेटे धरमपाल सिंह गुप्ता भी राजनीति से जुड़े रहे। वह अभिभाजित मध्य प्रदेश में 1963 भिलाई विधानसभा से कांग्रेस पार्टी से विधायक थे। इसके बाद उन्होंने जनता दल जॉइन किया और 1967 में धमधा विधानसभा से विधायक व मध्यप्रदेश के शिक्षामंत्री थे। राजनांदगांव से बीजेपी से सांसद रहे।
धरमपाल सिंह गुप्ता के दो बेटे हैं। राघवेंद्र सिंह गुप्ता और जितेंद्र सिंह गुप्ता। राजेंद्र गुप्ता भिलाई स्टील प्लांट में सर्जरी के विशेषज्ञ रहे हैं। छोटे भाई जितेंद्र उद्योगपति हैं। राघवेंद्र गुप्ता के एक बेटा और एक बेटी है। बेटा दिग्विजय सिंह गुप्ता घनश्याम सिंह आर्य कन्या महाविद्यालय और तुलाराम उमा शाला का संचालन देखने के साथ ही कृषि कार्य देखते हैं। उनकी बेटी डॉ. शिवानी गुप्ता शादी के बाद आस्ट्रेलिया में रहने लगी हैं।
जितेंद्र गुप्ता के भी एक ही बेटा है विश्वजीत सिंह। वह भी अपना निजी कार्य देखते हैं। दो बेटिया हैं, जिसमें शादी के बाद मीनाक्षी गुप्ता दुर्ग में और वसुंधरा गुप्ता दिल्ली में रहती हैं। दोनों भाइयों का परिवार घनश्याम सिंह गुप्ता के द्वारा बनाए गए मकान में ही खुशी-खुशी रहता है।