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प्रतापपुर : वन कर्मियों की दो टूक, निलंबन वापस नहीं तो काम नहीं

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प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के कर्मचारियों नेअब मोर्चा खोलने का निर्णय लिया है। कर्मचारियों का कहना है कि तीन निर्दोष कर्मचारियों का निलंबन तुरन्त खत्म नहीं किया गया तो वे 5 अक्टूबर से काम नही करेंगे। ज्ञात हो कि प्रतापपुर ब्लॉक के सरहरी में पिछले दिनों बहरादेव हाथी के कुचलने से युवक की मौत के बाद उपजे आक्रोश को शांत करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए सरगुजा मुख्य वन संरक्षक अनुराग श्रीवास्तव ने प्रतापपुर के वन परिक्षेत्र अधिकारी कमलेश कुमार राय, परिक्षेत्र सहायक गुलशन यादव व परिसर रक्षक जितन सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। वन संरक्षक द्वारा की गई निलंबन की कार्रवाई का वन कर्मचारी संघ ने कड़ा विरोध किया है। हाथियों से सर्वाधिक प्रभावित सूरजपुर जिले के वन कर्मचारियों ने गुरुवार को बैठक में निर्णय लिया है कि निलंबित अधिकारी-कर्मचारियों को बहाल नहीं किया जाता है तो अगले पांच अक्टूबर तक सूरजपुर जिले में वन रक्षक से लेकर उप वनक्षेत्रपाल तक हाथी-मानव द्वंद पर नियंत्रण का कोई कार्य नहीं करेंगे। यदि इसके बाद भी मांगों पर विचार नहीं हुआ तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। वन कर्मचारी संघ के बैनर तले जिले भर से जुटे वन कर्मचारियों ने निर्णय से विभाग के उच्चाधिकारियों को भी अवगत करा दिया है। सरगुजा वन वृत्त में सूरजपुर जिला हाथियों से सर्वाधिक प्रभावित है। प्रतापपुर, घुईडीह वन परिक्षेत्र में पचास से अधिक हाथी स्वच्छद विचरण कर रहे है। इनकी निगरानी और जानमाल की सुरक्षा का कार्य वन अधिकारी, कर्मचारियों द्वारा नहीं किए जाने के निर्णय से प्रभावित क्षेत्र के लोग भी चिंतित है। बैठक में संघ पदाधिकारियों ने कहा कि प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में अधिकारी, कर्मचारी पूरी ईमानदारी के साथ दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। हाथियों की निगरानी और जान माल की सुरक्षा के लिए अलग से संसाधन की मांग लंबे समय से की जा रही है लेकिन अधिकारियों द्वारा विभागीय अधिकारी, कर्मचारियों का निलंबन न्यायोचित नहीं है। तीनों अधिकारी कर्मचारियों पर वन संरक्षक ने जनाक्रोश को शांत नहीं कर पाने का आरोप लगाते हुए। प्रथमष्टया दोषी बता निलंबित किया है। वन कर्मचारी संघ की यह है मांग निलंबित तीनों कर्मचारियों का निलंबन निरस्त कर उन्हें यथावत कार्य करने का अवसर दिया जाए। पूर्व में निलंबित दो कर्मचारियों को भी तत्काल बहाल किया जाए। हाथी मानव द्वंद को टोकने हेतु वन कर्मचारी क्या करें? इसका स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किया जाए। हाथी मानव द्वंद रोकने के दौरान जन आक्रोश एवं अभद्र व्यवहार से वन अधिकारी, कर्मचारियों को बचाने सशस्त्र पुलिस बल अलग से उपलब्ध कराया जाए।