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वाड्रफनगर : रिटायरमेंट के बाद भी बने डीएफओ, अब सीएम से 4 करोड़ रुपए के घोटाले की शिकायत

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बलरामपुर जिले में पदस्थ वन मंडल अधिकारी लक्ष्मण सिंह पर वन ठेकेदार संघ ने गंभीर आरोप लगाए हैं। संघ का कहना है कि लक्ष्मण सिंह अपने पद का दुरुपयोग करते हुए शासन को लाखों-करोड़ों की क्षति पहुंचा रहे हैं। वे अपने चहेते ठेकेदारों को नीलामी जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में लाभ पहुंचा कर शासन को क्षति पहुंचा रहे हैं।यही नहीं अगर सूक्ष्मता से जांच की जाए तो अन्य कई प्रकार के घोटाले इनके द्वारा जो किए गए हैं उसे उजागर किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखते हुए अवगत कराया है कि डीएफओ लक्ष्मण सिंह द्वारा कुछ सामग्रियों की कागजों में खरीदी की गई है और बड़े पैमाने पर ऐसे घोटाले किए गए हैं। चैन लिंक, ब्रांडेड वायर, फेसिंग पोल खरीदी में फर्मों से सेटिंग कर राशियों का अहरण किया गया है। अपने चहेते फर्मों को वर्क आर्डर जारी करते हुए बहुत कम समय के अंदर राशि भुगतान कर दिया गया है। यही नहीं फेसिंग पोल जो खरीदी की गई है, वह फील्ड में लगी भी नहीं है लगभग 4 करोड़ के आस-पास का घोटाला अब तक किया जा चुका है। प्रदेश उपाध्यक्ष नीरज प्रकाश पांडे ने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री को अवगत कराते हुए कहा है कि ऐसे अधिकारियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाए।
नीलामी के दौरान हुआ था विवाद- वन ठेकेदार संघ के प्रांतीय अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि 28 सितंबर को नीलामी के दौरान संघ के पदाधिकारियों से डीएफओ अभद्र व्यवहार करते हुए अपने चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रहे थे, जिसका विरोध हमने किया है। ऐसे अधिकारियों पर अगर कार्यवाही नहीं की जाती है तो हम अगली नीलामी का बहिष्कार करेंगे। राजीव अग्रवाल ने बताया कि राज्य सरकार ने उन्हें सेवानिवृत्त कर दिया था, हाईकोर्ट में जाने के बाद वह पुन: डीएफओ बनकर बैठे हुए हैं और पूर्व की तरह पुन: अपने कृत्य प्रारंभ कर दिए हैं। नीलामी में भाग लेने वाले ठेकेदारों को वहां पर नाश्ता, पानी भोजन जैसे चीजों की व्यवस्था विभाग द्वारा कराई जाती है जो निम्न और घटिया स्तर का है। इसके बावजूद भी विभाग बड़ी रकम इस कार्य के लिए आहरण कर रहा है।
डीएफओ ने ये कहा- आरोपों पर डीएफओ लक्ष्मण सिंह ने कहा कि नीलामी के दौरान कुछ ऐसे लाट थे जिस पर शासन का दर निर्धारित था। नियत दर से भी कम मूल्य में ठेकेदार उसे लेना चाह रहे थे जिस पर हम ने सहमति जाहिर नहीं की। यही कारण है कि इस मामले को राजनीतिक रंग दिया गया है। रही बात मेरे मेरे सेवानिवृत्ति और भ्रष्टाचार की तो उस पर जांच की जा सकती है।