वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) की अध्यक्षता में 17 सितंबर 2021 को जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक होगी. इस बैठक में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) के साथ ही ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप Swiggy-Zomato को जीएसटी के दायरे (under-GST) में लाने के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा. इस एजेंडे में पवन चक्कियों, सोलर पावर डिवाइस, मेडिसिन, कार्बोनेटेड पेय भी शामिल हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कमिटी ने फूड डिलीवरी ऐप्स को कम से कम 5 फीसदी जीसएटी के दायरे में लाने की सिफारिश की है. ऐसे में ग्राहकों को स्विगी, जोमैटो, आदि से खाना मंगाना महंगा पड़ सकता है.
पेट्रोलियम पदार्थ भी आ सकते हैं GST के दायरे में
इसके साथ ही एक या एक से अधिक पेट्रोलियम पदार्थों- पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (विमान ईंधन) को भी जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है. केरल हाईकोर्ट की ओर से पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाए जाने के निर्देश के बाद जीएसटी परिषद के समक्ष यह मामला शुक्रवार को लाया जाएगा.
इस पर चर्चा करने के लिए, CNBC-TV18 के शेरीन भान ने कर विशेषज्ञ रोहन शाह और प्राइस वाटरहाउस एंड कंपनी LLP के पार्टनर प्रतीक जैन से बात की. जैन ने कहा कि Zomato और Swiggy पहले से ही उस कमीशन पर कर चुका रहे थे जो उन्हें 18 प्रतिशत मिल रहा था. फिटमेंट पैनल ने सिफारिश की है कि फूड एग्रीगेटर्स को ई-कॉमर्स ऑपरेटरों के रूप में वर्गीकृत किया जाए और संबंधित रेस्तरां की ओर से जीएसटी का भुगतान किया जाए.
GST के दायरे में लाने के लिए पैनल के तीन-चौथाई लोगों की मंजूरी जरूरी
पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर टैक्स लगाने पर उपभोक्ता मूल्य और सरकारी राजस्व में बड़े बदलाव के दरवाजे खुल जाएंगे. पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से इनकी कीमतों को घटाने में केंद्र सरकार को बड़ी मदद मिलेगी. बता दें कि हाल के महीनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें केंद्रीय और राज्य सरकारों की तरफ से लगाए गए टैक्स के कारण रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थीं. डीजल और गैसोलीन देश के आधे से अधिक ईंधन की खपत करते हैं. देश में ईंधन की लागत का आधे से ज्यादा हिस्सा टैक्स होता है.
हालांकि, पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना इतना आसान भी नहीं होगा. दरअसल, जीएसटी प्रणाली में किसी भी बदलाव के लिए पैनल के तीन-चौथाई लोगों की मंजूरी जरूरी है. इस पैनल में सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं. इनमें से कुछ ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध कर रहे हैं.