दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) अभी भी चिंता का विषय बना हुआ है. विश्व में अब तक कुल 22.34 करोड़ से भी अधिक कोरोना केस (Corona Cases) सामने आ चुके हैं. साथ ही दुनिया भर में इससे अब तक 46.10 लाख मौतें हो चुकी हैं. अमेरिका अब भी कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित देश है. लेकिन लगातार आ रहे कोरोना वायरस (Covid 19) के नए वेरिएंट ने चिंता बढ़ाई हुई है. वैज्ञानिक डेल्टा वेरिएंट (Corona Delta Variant) पर नजर बनाए हुए हैं, जो अब दुनिया भर में प्रमुख वेरिएंट है, लेकिन इसके साथ ही वे यह भी शोध कर रहे हैं कि क्या भविष्य में इससे घातक भी कोई वेरिएंट आ सकता है. आइये जानते हें चिंता का विषय बने कोरोना वेरिएंट के बारे में…
डेल्टा अभी भी प्रमुख वेरिएंट
भारत में पहली बार पता चला डेल्टा वेरिएंट सबसे ज्यादा चिंताजनक बना हुआ है. यह कई देशों में बिना वैक्सीन लगवाई हुई आबादी को प्रभावित कर रहा है और अपने पहले के वेरिएंट के मुकाबले वैक्सीन लगवा चुके लोगों को भी अधिक प्रभावित कर रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) डेल्टा वेरिएंट को चिंता के एक प्रकार के रूप में वर्गीकृत करता है, जिसका मतलब है कि यह फैलने, अधिक गंभीर बीमारी पैदा करने या टीकों और इलाज के फायदे को कम करने में सक्षम है.
सैन डिएगो में ला जोला इंस्टीट्यूट फॉर इम्यूनोलॉजी के एक वायरोलॉजिस्ट शेन क्रॉट्टी के अनुसार डेल्टा की महाशक्ति इसका तेजी से फैलना है. चीनी शोधकर्ताओं ने पाया कि डेल्टा से संक्रमित लोगों की नाक में कोरोना वायरस के मूल वेरिएंट की तुलना में 1,260 गुना अधिक वायरस होते हैं. कुछ अमेरिकी शोध बताते हैं कि डेल्टा से संक्रमित होने वाले टीकाकरण करा चुके लोगों में वायरल लोड उन लोगों के बराबर है, जिन्हें टीका नहीं लगाया गया है. लेकिन इसमें अधिक शोध की आवश्यकता है.
सामान्य कोरोना वायरस को लक्षण पैदा करने में सात दिन लगते हैं, डेल्टा दो से तीन दिन तेजी से लक्षण पैदा कर सकता है, जिससे इम्यून सिस्टम को प्रतिक्रिया देने और बचाव करने के लिए कम समय मिलता है.
कम हो रहा है लैम्बडा वेरिएंट
लैम्बडा वेरिएंट ने संभावित नए खतरे के रूप में ध्यान आकर्षित किया था, लेकिन दिसंबर में पेरू में पहली बार पहचाने गए कोरोना वायरस का यह वेरिएंट अब घट रहा है. हालांकि लैम्बडा से जुड़े मामले जुलाई में बढ़ रहे थे, लेकिन पिछले चार हफ्तों से इस वेरिएंट की रिपोर्ट वैश्विक स्तर पर गिर रही है. डब्ल्यूएचओ लैम्बडा को चिंता के विषय के रूप में वर्गीकृत करता है, जिसका मतलब है कि इसमें म्यूटेशन में परिवर्तन होने या अधिक गंभीर बीमारी पैदा करने की आशंका है, लेकिन यह अभी भी जांच के अंतर्गत है. लैब अध्ययनों से पता चलता है कि इसमें म्यूटेश हैं जो टीके से प्रेरित एंटीबॉडी के खिलाफ हैं.
एमयू वेरिएंट पर निगरानी
एमयू वेरिएंट जिसे पहले बी.1.621 के नाम से जाना जाता था, को पहली बार जनवरी में कोलंबिया में पहचाना गया था. 30 अगस्त को डब्ल्यूएचओ ने कई संबंधित म्यूटेशन के कारण इसे चिंता के विषय के एक प्रकार के रूप में नामित किया.
एमयू ई484के, एन501वाई और डी614जी सहित प्रमुख म्यूटेशन करता है, जिन्हें बढ़े हुए प्रसार की क्षमता और कम इम्यून सुरक्षा के साथ जोड़ा गया है. पिछले हफ्ते प्रकाशित डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार एमयू ने दक्षिण अमेरिका और यूरोप में कुछ बड़े कहर बरपाया हैं. जबकि एमयू के रूप में पहचाने जाने वाले जेनेटिक सीक्वेंस की संख्या विश्व स्तर पर 0.1% से नीचे गिर गई है, एमयू कोलंबिया में जेनेटिक सीक्वेंस 39% वेरिएंट और इक्वाडोर में 13% का हिस्सेदार है.