अफगानिस्तान (Afghanistan Crisis) पर तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद बड़ी संख्या में शरणार्थी (Afghanistan Refugees crisis) निकले हैं. चरमपंथी तालिबान की हिंसा से डरे अफगान नागरिक दूसरे देशों में शरण तलाश रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चौंकाने वाला व्यवहार मुस्लिम देशों का रहा है, जिन्होंने अफगानी शरणार्थी के लिए अपने दरवाजे बंद कर दिए हैं. ईरान (Iran) के अलावा किसी भी बड़े मुस्लिम देश ने अफगान शरणार्थियों के लिए अपने दरवाजे नहीं खोले हैं. शिया बहुल ईरान में पहले से 3.38 मिलियन (33 लाख 80 हजार) अफगानी शरणार्थी रह रहे हैं, अफगानिस्तान एक सुन्नी बहुल देश है. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की रिफ्यूजी एंजेंसी के डाटा के मुताबिक 33 लाख 80 हजार शरणार्थियों में 7 लाख 80 हजार मान्यता प्राप्त शरणार्थी हैं, जबकि 20 लाख शरणार्थियों का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं हैं, वहीं 6 लाख के अफगानिस्तान का पासपोर्ट है.