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पुस्तक समीक्षा: बिखरी हुई सैकड़ों रियासतों के एक भारत बनने की गाथा है ‘प्रिंसिस्तान’

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Princestan: पिछले सदी के मध्य में भारतीय संघ के अस्तित्व में आने के तुरंत बाद देश का प्रायः हरेक कोने से एक अलग राष्ट्र की बात हो रही थी. ऐसा प्रतीत होता है कि हर एक प्रांत ने एक संप्रभु राष्ट्र घोषित होने की इच्छा जताई थी. हम 2021, में इस बात की मात्र कल्पना ही कर सकते हैं कि कैसे हमारे देश के ही भीतर की रियासत के प्रतिनिधियों की अलगाववादी योजनाओं को हमारे राष्ट्र निर्माताओं ने अपनी राजनीतिक समझ और दूरदर्शिता से सफलतापूर्वक सामना किया था. यह सब बातें और तथ्य हमें अब एक फिक्शन कि तरह लगती हैं, जबकि यह हमारे देश के अतीत का महत्वपूर्ण खंड है.

संदीप बमज़ाई (Sandeep Bamzai) की पुस्तक ‘प्रिंसिस्तान: हाउ नेहरू, पटेल एंड माउंटबेटन मेड इंडिया’ (Princestan: How Nehru, Patel, and Mountbatten Made India) इसी बीते हुए समय का यथार्थ को बयां करती है. लेखक संदीप बमज़ाई इन “अनेकडॉट्स” का जिक्र भर करते हुए उसके बिना पर जो वितान रचते हैं, जो वैचारिक दस्तावेज हमारे समक्ष प्रस्तुत करते हैं, विमर्शों की जिन दरिया में हमें उतारते हैं, वह आज के समय की जरुरत है.

‘प्रिंसिस्तान’ (Princestan) मुख्य रूप से एक राजनीतिक इतिहास की किताब है, जिसे लेखक संदीप बमज़ाई, स्वतंत्रता के ठीक बाद भारत में हुई प्रमुख घटनाओं और राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य पर उसके प्रभावों को खूबसूरती से रेखांकित करते हैं.

भारत की आज़ादी के बाद “भारत बनने की कहानी” पर कई बेहतरीन पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं. इन्हीं पुस्तकों की सूची में संदीप बमज़ाई की पुस्तक ‘प्रिंसिस्तान’ का नाम भी जुड़ गया है.

‘प्रिंसिस्तान’ को अगर 247 पृष्ठों का ऐतिहासिक दस्तावेज़ कहा जाये, तो गलत नहीं होगा. दरअसल, इस किताब में बताया गया है कि कैसे 565 रियासतों, जिन्हें ‘प्रिंसिस्तान’ का नाम दिया गया, को दो स्वतंत्र राज्यों भारत और पाकिस्तान के दायरे से बाहर रखने की साजिश को जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और लॉर्ड माउंटबेटन ने नाकाम किया.