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अपनें वादों से मुकरनें वाले सरकार को छत्तीसगढ़ की जनता माफ नहीं करेगी:- गणेश साहु, विधानसभा चुनाव में किए वादे भूल रही है कांग्रेस सरकार, अवैध शराब की बिक्री करवानें में मशगूल हैं राज्य सरकार…

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कसडोल(बलौदाबाजार)। राघवेन्द्र सिंह “मेरूवाणी”

सरकार के रवैये से अब पूरी तरह तय हो गया कि छत्तीसगढ़ राज्य में पूर्ण शराब बंदी नही होने वाली। उक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला सह कोषाध्यक्ष युवा नेता सामाजिक कार्यकर्ता गणेश साहू ने बताया कि विधानसभा में तय हो गया है कि शराब की ठेकेदार सरकार के ही लोग रहेंगे। जब सरकार की मंशा ही नहीं है तो इस राज्य में शराब बंदी करना फिलहाल कॉग्रेस सरकार द्वारा संभव नही दिखाई दे रहा। विधानसभा में पूर्ण शराब बंदी को लेकर भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा के द्वारा पेश किया गया अशासकीय संकल्प मत विभाजन के बाद अस्वीकृत हो गया। इसमें कहा गया था की सदन का यह मत है समिति की बैठक के बाद शराब बंदी पर विचार करेंगे। इस अशासकीय संकल्प को भाजपा के विधायकों के द्वारा पेश किया गया था यह अशासकीय संकल्प जब विधानसभा में पेश किया गया तो सदन में चर्चा और सरकार की ओर से जवाब देते हुए मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि पूर्ण शराब बंदी कही भी सफल नहीं हुआ। वहीं भाजपा के विधायकों द्वारा शराब बंदी पर चर्चा कर मत विभाजन की मांग रखी गई, मत विभाजन में अशासकीय संकल्प के पक्ष में 13 वोट पडे तो वहीं विपक्ष में 58 वोट पडे। जिससे सदन में अशासकीय संकल्प अस्वीकृत हो गया। इससे स्पष्ट हो गया कि सरकार शराब बंदी नही करना चाहतीं हैं। वहीं युवा नेता गणेश साहू ने आगे कहा कि शराब का व्यवसाय करके राज्य सरकार देश भर में एक नजीर पेश करने की तैयारी में है एक तरफ बिहार जैसे राज्य में शराब बंदी करके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देशव्यापी साकारात्मक पहल की हैं तो वही छत्तीसगढ़ में शराब बेचकर सरकार एक नया उदाहरण पेश कर रही है।

देश विदेश घूमकर निवेशकों को आमंत्रित करने वाले मुख्यमंत्री की सरकार ने अब तक प्रदेश में भले ही पूंजी निवेश न कराया हो लेकिन इस फैसले के बाद यह तो तय है कि निवेशक यहां आने के लिए उत्सुक हो जाएंगे। बाकी तो प्रदेश की शराब प्रेमी है ही जो शराब से सरकार के राजस्व को दोगुना तिगुना करने में सक्षम है। वैसे भी शराब पीने और पिलाने के मामले में प्रदेश का देश में अव्वल स्थान है। और जब से प्रदेश में कांग्रेस सरकार आई है तब से अवैध शराब का कहना ही क्या है। यहां ऐसे ब्रांड भी बिकते हैं जिसे कोई जानता भी नही। वहीं दो नम्बर की शराब बेचने की प्रक्रिया बड़ी पारदर्शी है इसीलिए कही शराब की जप्ती को ठीक से पंचनामा बनाने की बात आती हैं तो आबकारी अधिकारी नही बना पाते म। वहीं सरकार द्वारा अपने होर्डिंग में लिखते है कि “बात है अभिमान की छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान की”।

फिलहाल प्रदेश में शराब बंदी के खिलाफ में है सरकार। मतलब प्रदेश की लाखों करोड़ो महिलाओं की परेशानियां यथावत रहेगी और पति बेटे भाई शराब की दुकान में देखे जाते रहेंगे। शर्म आनी चाहिए ऐसे विधायक को जो शराब बंदी की वोटिंग में शामिल नहीं हुए आपको छत्तीसगढ़ की माताएं बहने कभी माफ नहीं करेगी। आने वाले 2023 की विधानसभा चुनाव में जरूर सबक सिखाएगी।