Home देश समझें, मानसून के बारे में सबकुछ, क्यों इसकी लेटलतीफी पड़ती है भारी

समझें, मानसून के बारे में सबकुछ, क्यों इसकी लेटलतीफी पड़ती है भारी

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इस साल मानसून ने दिल्लीवासियों (monsoon in Delhi) को काफी इंतजार कराया, वहीं देश के लगभग तमाम हिस्सों में ये हफ्तेभर पहले पहुंच चुका था. मानसून पहुंचने में देरी के बारे में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग कई बातें बता रहा है. जैसे पश्चिमी हवाओं जैसी कुछ प्रतिकूल परिस्थितियों के चलते पश्चिमी राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और पंजाब के कुछ इलाकों में इसका बढ़ना थम गया था. वैसे मानसून, अंग्रेजी शब्द मॉनसून से बना है, जो असल में अरबी शब्द मॉवसिस से आया, जिसका अर्थ है मौसम. डच भाषा में भी इस शब्द का जिक्र मिलता है.

क्या है मानसून 
मानसून महासागरों की ओर से चलने वाली तेज हवाओं की दिशा में बदलाव को कहते हैं. इससे केवल बारिश ही नहीं होती, बल्कि अलग-अलग इलाकों में सूखा मौसम भी मानसून की ही देन है. वैसे मूलतः ये हिंद महासागर और अरब सागर की ओर से चलने वाली तेज हवाएं हैं. ये हवा भारत समेत बांग्लादेश और पाकिस्तान में भारी बारिश कराती है.

भारत में इस दौरान सक्रिय
मानसून दक्षिण एशियाई देशों और खासकर भारत में जून से सितंबर तक आमतौर पर सक्रिय होता है. ठंडे से गर्म इलाकों की ओर बढ़ने वाली ये मौसमी हवा समर और विंटर मानसून में बंटी होती है, जो दक्षिण एशिया के मौसम को बनाती है.

क्या है समर मानसून
ये तेज हवाओं के साथ होने वाली बारिश है, जो अप्रैल से सितंबर के बीच होती है. ठंड के खत्म होने के साथ ही दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर से सूखी, नम हवा भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों की ओर बहने लगती है. इससे मौसम में नमी आ जाती है और हल्की-फुल्की से लेकर तेज बारिश होती है.

भारत की खेती-किसानी का मूल
सिर्फ भारत की बात करें तो हिंद और अरब महासागर से बहने वाली हवाएं हिमालय से होती हुई भारत के दक्षिण-पश्चिम से टकराती हैं और बारिश होती है. यही बारिश भारत की खेती-किसानी का मूल है. चावल और चाय जैसे उत्पाद पूरी तरह से समर मानसून पर निर्भर होते हैं. इसके अलावा डेयरी फार्म में भी इसी मानसून से मदद मिलती है. ये मौसम गायों को भरपूर चारा उपलब्ध कराता है, जिससे वे स्वस्थ और दुधारू रहती हैं