छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले की 90 समितियों में कार्यरत 400 कर्मचारियों ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया। केंद्रों से 5 लाख क्विंटल से ज्यादा धान का उठाव नहीं होने के कारण कर्मचारी नाराज हैं। आरोप है कि धान उठाव नहीं होने के कारण समितियों को नुकसान हो रहा है। इसके चलते उनको तीन माह से वेतन तक नहीं मिला है। वहीं बारिश के चलते अकेले लोहारा ब्लॉक के सूरजपुरा जंगल केंद्र में रखा 2000 क्विंटल से धान खराब हो गया है।
जिला सहकारी समिति कर्मचारी संघ के बैनर तले कर्मचारियों ने कवर्धा के पुरानी मंडी में प्रदर्शन किया है। प्रदेश में ऐसा पहली बार है जब धान का उठाव नहीं होने से कर्मचारियों ने एक साथ इस्तीफा देने की घोषणा की है। समिति के 94 केंद्रों में काम करने वाले क्लर्क को 15 हजार और विक्रेता को 10 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन दिया जाता है।
39 लाख 34 हजार 600 क्विंटल धान खरीदी हुई
दरअसल कवर्धा जिले में 94 धान खरीदी केंद्र हैं। यहां पिछले वित्त वर्ष में कुल 39 लाख 34 हजार 600 क्विंटल धान खरीदी की गई। लेकिन अब भी जिले के अलग-अलग धान खरीदी केंद्रों में 5 लाख क्विंंटल धान खुले में पड़ा हुआ है। इतना ही नहीं बारिश और गर्मी के कारण कई केंद्र में तो धान ही खराब हो हए हैं। जिसका नुकसान अब जिला सहकारी समिति को उठाना पड़ रहा है। जिले के लोहारा ब्लॉक के सूरजपुरा जंगल धान खरीदी केंद्र में 2 हजार क्विंटल धान सड़ा गया है। इसके अलावा भी अलग-अलग केंद्रों में धान पड़े-पड़े खराब हो रहे हैं।
मार्च तक हो जाता था उठाव
जिला सहकारी समिति कर्मचारी संघ के संरक्षक ईश्वरी साहू का कहना है कि एक तो समय से धान का उठाव नहीं हुआ है। ऊपर से इन खराब हुए धान का भुगतान समिति को करना है, ये तो गलत है। आम तौर मार्च महीने तक उठाव हो जाता था। लेकिन इस बर जून तक भी उठाव नहीं हुआ है। जब समय पर उठाव ही नहीं हो रहा है तो इसमें समिति की क्या गलती है। कर्मचारियों को सैलरी भी नहीं मिली है। ऐसे में हमने सामूहिक रूप से इस्तीफा देने का निर्णय लिया है। कर्मचारियों ने जिला सहकारी समिति कर्मचारी संघ बैनर तले अपना इस्तीफा कवर्धा के सहकारी संस्थाएं के उप पंजीयक को भेजा है। हालांकि कि अभी कर्मचारियों का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है।