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अपनी इंश्योरेंस पॉलिसी पर कैसे कम करें प्रीमियम का खर्च? इन 5 बातों का हमेशा रखें ध्यान

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लाइफ इंश्योरेंस खरीदते समय कई जरूरी बातों को ध्यान में रखना होता है. इससे बेहतर कवरेज प्लान चुनने में तो मदद मिलती ही हे, साथ ही प्रीमियम खर्च भी कम होता है. प्रीमियम तय करने के लिए स्वास्थ्य की स्थिति, लाइफास्टाइल का भी ध्यान रखा जाता है.

हम सभी के लिए लाइफ इंश्योरेंस प्लान खरीदने का फैसला इस बात पर भी निर्भर करता है कि उसके प्रीमियम पर हमें कितना खर्च करना पड़ेगा. यह स्वाभाविक भी है. लेकिन, यह पॉलिसी कवरेज में समझौते की कीमत पर नहीं होनी चाहिए. पॉलिसी कवर में समझौते का मतलब होगा कि लाइफ इंश्योरेंस खरीदने का उद्देश्य ही नहीं पूरा हो सकेगा. ऐसे में पॉलिसी कवर के फायदे को बिना कम किए ही प्रीमियम का बोझ कम करने के लिए हमें यह समझना होगा कि इंश्योरेंस कंपनियां किस आधार पर प्रीमियम तय करती हैं. इसके लिए वे किन बातों को ध्यान में रखती हैं.

कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है प्रीमियम पेमेंट
फाइनेंशियल रिस्क मैनेजमेंट के लिए लाइफ इंश्योरेंस एक क्रिटिकल टूल है. हर व्यक्ति के डेमोग्राफिक और समाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर ही जोखिम निर्भर करता है. आसान शब्दों में कहें तो युवा व्यक्ति की मृत्यु दर कम होगी और आमतौर पर उन्हें अधिक उम्र वाले व्यक्ति की तुलना में एक ही कवर के लिए कम भुगतान करना होगा. इसी प्रकार एक ही उम्र के दो व्यक्ति अगर दो अलग स्थानों पर रहते हैं तो और उनकी स्वास्थ्य ​की स्थिति से लेकर कमाई करने की क्षमता भी एक दूसरे भिन्न है तो भी उन्हें एक ही पॉलिसी के अलग-अलग भुगतान करना होगा.

जानकारों का कहना है कि प्रीमियम तय करने के लिए स्वास्थ्य की स्थिति और लाइफास्टाइल की भी अहम भूमिका होती है. इसके अलावा, इंश्योरेंस प्रोडक्ट की कई बातों पर निर्भर करता है कि किन पॉलिसी के प्रीमियम की क्या कीमत होगी. अगर आप अपने पॉलिसी कवर के तहत अपनी पूंजी वापस पाना चाहते हैं तो भी इसके सेविंग्स कम्पोनेन्ट की वजह से आपको प्रीमियम पर ज्यादा भुगतान करना होगा.

इस प्रकार हम समझ सकते हैं कि उम्र, लिंग, स्वास्थ्य की स्थिति, प्रीमियम भुगतान करने की शर्त, पॉलिसी की अवधि आदि को ध्यान में रखते हुए ही किसी भी इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए प्रीमियम तय होता है. हालांकि, अगर आप भी कम प्रीमियम में बेहतर कवरेज पाना चाहते हैं तो नीचे दी गई 5 बातों को ध्यान से पढ़ सकते हैं.

1. कम उम्र में ही लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदें
28-30 जैसे कम उम्र में पॉलिसी खरीदने के अपने फायदे हैं. कम उम्र में पॉलिसी खरीदने का मतलब है कि यह पॉकेट फ्रेंडली होगा. बढ़ती उम्र के साथ जिम्मेदारी भी बढ़ती है. इस दौरान इंश्योरेंस खरीदना महंगा हो सकता है. आसान शब्दों में कहें तो कम उम्र में पॉलिसी खरीदने पर कम प्रीमियम में ही लाइफ इंश्योरेंस के सभी फायदे मिलते हैं.

2. टर्म पॉलिसी खरीदें
किसी भी व्यक्ति के इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में टर्म इंश्योरेंस एक जरूरी फाइनेंशियल टूल का काम करता है. आपके नहीं रहने पर भी मुश्किल परिस्थितियों में यह मददगार साबित होता है. टर्म इंश्योरेंस में, बड़े कवर के लिए भी प्रीमियम की रकम कम होती है. यह कवर तभी मिलता है, जब इंश्योरेंस किए गए व्यक्ति की मृत्यु होती है. आप इसमें बेहतर बनाने के लिए गंभीर बीमारी या दुर्घटना जैसे आकस्मिक मृत्यु के लिहाज से भी बेहतर बना सकते हैं. इस तरह के प्लान लंबी अवधि के लिए लिया जाना चाहिए. जानकारों का कहना है कि एक 35 वर्ष के व्यक्ति को अपने सालाना इनकम के कम से कम 10—15 गुना ज्यादा रकम का इंश्योरेंस कवर लेना चाहिए. हालांकि, इस तरह की पॉलिसी में मैच्योरिटी पर कोई रकम नहीं मिलती है.

3. सही पॉलिसी चुनें
सही लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी चुनने का मतलब यह भी होता है कि आपके प्रीमियम खर्च में भी भी बचत होती है. लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी की अवधि कम नहीं होनी चाहिए . दूसरी ओर, यह बहुत लंबी अवधि की भी नहीं होनी चाहिए. सही अवधि चुनने के लिए आपको एक बात का ध्यान रखना होगा. इसके लिए यह चेक करना चाहिए कि किस साल में कुल देनदारी खत्म होने के बाद आपका कुल निवेश लाइफ इंश्योरेंस प्लान से ज्यादा होगा.

मान लीजिए कि वर्तमान में कोई टर्म इंश्योरेंस है जो 40 साल की कवरेज देती है. हालांकि, व्यावहारिक परिदृश्य में यह मुश्किल है कि लंबी अवधि में किसी व्यक्ति की कुल देनदारी कब खत्म होगी. ऐसे में 40 साल की अवधि वाले इंश्योरेंस से बेहतर होगा कि रिटायरमेंट की उम्र तक के​ लिए ही पॉलिसी ली जाए. अगर कोई व्यक्ति 40 साल की उम्र में लाइफ इंश्योरेंस खरीदता है तो उन्हें 60 या 65 साल की उम्र तक के लिए ही लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदनी चाहिए.

4. लाइफ इंश्योरेंस खरीदने से पहले प्लान्स की तुलना करें
इंश्योरेंस प्लान्स को प्रीमियम, एश्योर्ड रकम समेत कई बातों को ध्यान में रखते हुए तुलना करना जरूरी है. इसके अलावा विभिन्न कंपनियों के क्लेम सेटलमेंट रेशियों की भी तुलना करनी चाहिए क्योंकि टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने में इनकी भी अहम भूमिका होती है. इससे यह पता लगता है कि किसी एक वित्तीय वर्ष में कोई इंश्योरेंस कंपनी कितने फीसदी क्लेम सेटलमेंट करना चाहती है. मान लीजिए कि कोई कंपनी कहती है कि उसका क्लेम सेटलमेंट ​रेशियो 91 फीसदी है तो इसका मतलब है कि कंपनी ने एक वित्तीय वर्ष में 100 क्लेम्स में 91 क्लेम का भुगतान किया है, जबकि अन्य 9 क्लेम रिजेक्ट हो चुके हैं.

5. गैर-जरूरी राइडर्स खरीदने से बचें
जब लाइफ इंश्योरेंस खरीदने की बात आती है तो इंश्योरेंस मार्केट में बेहद किफायती दर पर राइडर्स उपलब्ध होते हैं. इनके किफायत दाम से आप आकर्षित हो सकते हैं. टर्म इंश्योरेंस राइडर्स एक तरह का टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी पर अटैचमेंट होता है. इससे पॉलिसी होल्डर को अतिरिक्त कवरेज मिलता है. आमतौर पर इन राइडर्स का खर्च टर्म प्लान के आधार पर ​​अलग-अलग होता है. ऐसे में आपके लिए जरूरी है कि किसी भी तरह के राइडर खरीदने से पहले उसे बारे में बेहतर रिसर्च कर सकें.