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क्या होते हैं सरकारी बॉन्ड्स जिसे RBI ने रिटेल निवेशकों के लिए खोला? पढ़ें इसकी पूरी जानकारी

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रतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद बताया कि बहुत जल्द रिटेल इन्वेस्टर्स भी बॉन्ड मार्केट में हिस्सा ले सकेंगे. रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए अलग से एक गाइडलाइंस जारी किया जाएगी. अभी तक रिटेल इन्वेस्टर्स म्यूचुअल फंड्स के जरिए ही सिक्योरिटीज मार्केट में निवेश करते रहे हैं.

आरबीआई ने शुक्रवार को पालिसी स्टेटमेंट के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि रिटेल इन्वेस्टर्स भी अब गिल्ट अकाउंट (Gilt Account) खोलकर सरकारी बॉन्ड्स खरीद सकते हैं. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि बहुत जल्द ही रिटेल इन्वेस्टर्स को गिल्ट अकाउंट खोलने की सुविधा दी जाएगी. माना जा रहा है कि केंद्रीय बैंक के इस कदम से बॉन्ड मार्केट (Bond Market) में अतिरिक्त वृद्धि देखने को मिलेगी. दास ने कहा है कि इस प्रक्रिया के लिए जल्द ही दिशानिर्देश जारी किया जाएगा. लेकिन, बहुत से ऐसे लोग होंगे, जिन्हें बॉन्ड मार्केट या गिल्ट फंड के बारे में जानकारी नहीं होगी. आज हम आपको इसके जोखि़म और फायदे समेत कई जरूरी जानकारी देंगे.

सरकार बॉन्ड में किस तरह के रिटर्न मिलते हैं?
वर्तमान में 10 साल के सरकारी बॉन्ड (G-Sec) पर 6.126 फीसदी का यील्ड (Bond Yeild) मिल रहा है. आसान शब्दों में कहें तो अगर आप इस बॉन्ड को 10 साल के लिए रखते हैं तो आपको 6.126 फीसदी का रिटर्न मिलेगा. यह यील्ड इस बात पर निर्भर करता है कि केंद्र सरकार के उधार लेने का क्या प्रोग्राम है और अर्थव्यवस्था को लेकर आरबीआई ने मौद्रिक नीति में क्या अनुमान लगाया है.

क्या 10 साल से भी कम अवधि के सरकारी बॉन्ड होते हैं?
10 साल से भी कम अवधि के सरकारी बॉन्ड भी होते हैं. इन्हीं में से एक ट्रेजरी बिल्स होते हैं, जो 365 दिन या इससे भी कम समय में मैच्योर हो रहे हैं. इनपर मिलने वाला यील्ड कम होता है. इसके अलावा आप भारत सरकार के टैक्सेबल सेविंग्स बॉन्ड भी खरीद सकते हैं, जिसपर नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) से लिंक्ड फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट (Floating Interest Rate) मिलता है. फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट का मतलब है कि ब्याज दर को हर तिमाही में रिवाइज किया जाएगा. NSC के आधार पर ही वर्तमान में यह 7.15 फीसदी है. आप इन भारत सरकार टैक्सेबल सेविंग्स बॉन्ड को एसबीआई, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस आदि से खरीद सकते हैं.

सरकार बॉन्ड्स पर कैसे टैक्स देना होता है?
सरकारी बॉन्ड्स पर मिलने वाले ब्याज पर स्लैब रेट क आधार पर टैक्स देना होता है. कुछ ऐसे बॉन्ड्स भी हैं, जो टैक्स-फ्री इंटरेस्ट रेट के दायरे में आते हैं. इन्हें रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन (REC) या हाउसिंग डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (HUDCO) जैसे पब्लिक सेक्टर उपक्रम जारी करते हैं. इन्हें सेकेंडरी मार्केट से खरीदा जा सकता है. हालांकि, टैक्सेबल बॉन्ड्स की तुलना में इस पर मिलने वाला यील्ड बहुत कम होता है. अगर आप किसी लिस्टेड बॉन्ड को एक साल के अंदर बेच देते हैं तो इसपर कैपिटल गेन्स स्लैब रेट के आधार पर देना होता है. अगर आप इसे 1 साल के बाद बेचते हैं तो इसपर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स देना होता है जोकि वर्तमान में 10 फीसदी है.

बॉन्ड मार्केट में किस तरह के जोखिम होते हैं?
सरकार बॉन्ड में डिफॉल्ट का रिस्क लगभग न के बराबर होता है. हालांकि, उनकी कीमत अर्थव्यवस्था में ब्याज दर में उतार-चढ़ाव के आधार पर बदलता रहता है. बॉन्ड जितनी लंबी अवधि का होगा, उसकी कीमत ब्याज दर के आधार पर उतनी ही सेंसिटिव होगी. ब्याज दराें में बढ़ोतरी से बॉन्ड्स का भाव कम होता है. ठीक इसके उलट जब ब्याज दरें कम होती हैं तो बॉन्ड्स का भाव बढ़ता है. हालांकि, अगर बॉन्ड खरीदने के बाद मैच्योरिटी तक इसे होल्ड किए रहते हैं तो प्राइस मूवमेंट का कोई असर नहीं पड़ता है. बॉन्ड का एक रिस्क यह होता है कि इनपर मिलने वाला रिटर्न मुद्रास्फिति दर से अधिक नहीं हो सकता है. मान लीजिए कि बॉन्ड पर ब्याज दर 6 फीसदी है और मुद्रास्फिति दर 7 फीसदी है तो बॉन्ड में फंसे आपके पैसे की वैल्यू इस तुलना में घट जाती है.

क्या रिटेल इन्वेस्टर्स सरकारी बॉन्ड्स खरीद सकते हैं?
हां. वर्तमान में रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए सरकारी बॉन्ड में निवेश करने का सबसे बेहतरीन तरीका गवर्नेमेंट सिक्योरिटीज यानी गिल्ट म्यूचुअल फंड्स है. ये म्यूचुअल फंड्स सरकारी सिक्योरिटी में निवेश करते हैं. हालांकि, इस तरह के फंड्स एक चार्ज वसूलत हैं, जिसकी वजह से इसपर मिलने वाला रिटर्न कम हो जाता है. गिल्ट फंड्स के अलावा रिटेल इन्वेस्टर्स खुद को नॉन-कम्पटेटिव बिड के लिए स्टॉक एक्सचेंज पर रजिस्टर करा सकते हैं. इस रूट के जरिए स्टॉक ब्रोकर की जरूरत नहीं होती है अपने ऑर्डर्स सीधे एक्सचेंज पर सबमिट कयि जा सकता है. हालांकि, बॉन्ड होल्ड करने के लिए एक डिमैट अकाउंट की जरूरत होती है.

सरकारी बॉन्ड्स में रिटेल इन्वेस्टर्स को लेकर आरबीआई का क्या प्रस्ताव है?
इसके तहत रिटेल इन्वेस्टर्स को आरबीआई के साथ गिल्ट अकाउंट खोलने का मौका मिलेगा. आरबीआई गवर्नर ने अपने बयान में कहा, ‘रिटेल इन्वेस्टर्स को सरकारी सिक्योरिटी मार्केट यानी प्राइमरी व सेकेंडरी में आरबीआई रिटेल डायरेक्ट के जरिए ऑनलाइन एक्सेस मुहैया कराने का प्रस्ताव है.’ हालांकि, अभी इस बारे में विस्तृत जानकारी सामने नहीं आई है. केंद्रीय बैंक ने बताया है कि इसे अलग से जारी किया जाएगा.