Budget 2021: निर्मला सीतारमण ने सालाना 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के पीएफ योगदान पर टैक्स लगाने का ऐलान किया है. जबकि, पिछले साल ही केंद्र सरकार ने नया वेज कोड पास किया है. ऐसे में सैलरीड क्लास पर दोहरी मार पड़ सकती है.
निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) का यह बजट सैलरीड क्लास के लिए दोहरी मार साबित हो सकता है. वित्त मंत्री ने सोमवार को 2.50 लाख रुपये सालाना से ज्यादा के प्रॉविडेंट फंड (Provident Fund) योगदान पर टैक्स लगाने का ऐलान किया है. अधिकतर सैलरीड क्लास के लिए रिटायरमेंट के बाद की बचत के लिए पीएफ सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है. नए वेज कोड से न केवल टेक-होम सैलरी (Take-Home Salary) कम हो जाएगी बल्कि रिटायरमेंट सेविंग्स पर भी असर पड़ेगा.
अभी तक टैक्स फ्री रिटर्न के लिए प्रॉविडेंट फंड में निवेश पर कोई कैप नहीं था. पिछले साल ही बजट में प्रॉविडेंट फंड स्कीम्स में अधिकतम 7.5 लाख रुपये निवेश करने की ऊपरी लिमिट तय की गई है. अब कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में सालाना 2.5 लाख रुपये के निवेश के बाद विड्रॉल के समय टैक्स देना होता है.
कंपेनसेशन रकम घटने पर बढ़ेगा पीएफ योगदान
इसके साथ ही, वेज कोड 2019 में मेहनताना की नई परिभाषा से मालूम होता है कि पीएफ में कर्मचारियों का योगदान बढ़ाया जाएगा. इससे उनकी टेक-होम सैलरी घट जाएगी. इसके मुताबिक, सरकार ने कुल कंपेनसेशन की रकम पर 50 फीसदी पर कैप लगाया है. इससे नियोक्ताओं पर खर्च का बोझ बढ़ेगा और कर्मचारियों की टेक होम सैलरी भी कम हो जाएगी.
नए नियम के पालन के लिए नियोक्ताओं को बेसिक पे के अनुपात को बढ़ाना पड़ेगा और परिणामस्वरूप नियोक्ता और कर्मचारी का योगदान बढ़ जाएगा.
कैसे बचत पर होगा असर
उदहारण के तौर पर समझें तो मान लीजिए कि अमित नाम के एक व्यक्ति का बेसिक मंथली इनकम 1 लाख रुपये और उनका पीएफ योगदान 20,000 रुपये है. मान लीजिए कि नए वेज कोड के लागू होने से उनका पीएफ योगदान बढ़कर 25,000 रुपये हो जाता है तो उनकी टेक होम सैलरी 5,000 रुपये प्रति महीने तक कम हो जाएगी. चूंकि, 25,000 रुपये के हिसाब से पीएफ में उनका सालाना योगदान 2.5 लाख रुपये से ज्यादा हो जाएगा, ऐसे में बजट ऐलान के बाद उन्हें अमित को इस पर टैक्स देना होगा. इस प्रकार उनकी बचत पर भी इसका असर पड़ेगा.
बता दें कि नए वेज को पिछले साल अगस्त महीने में पास किया गया था जोकि 1 अप्रैल 2021 से लागू भी हो जाएगा.