Supreme Court on Farmers Protest: नए कृषि सुधार कानूनों (New Farm Laws) को रद्द करने समेत किसान आंदोलन से जुड़ी दूसरी अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस एसए बोबडे (CJI SA Bobde) ने सरकार से कहा कि जिस तरह से प्रक्रिया चल रही है, उससे हम निराश हैं.
Supreme Court on Farmers Protest: मोदी सरकार के नए कृषि सुधार कानूनों (New Farm Laws) की वापसी को लकर किसानों के आंदोलन का आज 47वां दिन है. नए कृषि कानून रद्द करने समेत किसान आंदोलन से जुड़ी दूसरी अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस एसए बोबडे (CJI SA Bobde) ने सरकार से कहा कि जिस तरह से प्रक्रिया चल रही है, उससे हम निराश हैं. हमें नहीं पता कि सरकार की किसानों से क्या बातचीत चल रही है. सीजेआई ने सरकार से दो टूक कहा कि आप कृषि कानूनों पर रोक लगाएंगे या हम कदम उठाएं? सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कमेटी बनाने के लिए नाम मांगे हैं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कल तक नाम सौंप दिए जाएंगे. ऐसे में बिना आदेश पास किए ही आज की सुनवाई खत्म हो गई.
8 जनवरी को किसानों की सरकार के साथ आठवें दौर की बात हुई थी, लेकिन इस बातचीत में भी कोई समाधान निकलता नजर नहीं आया, क्योंकि केंद्र ने विवादास्पद कानून निरस्त करने से इनकार कर दिया. अब 15 जनवरी को नौवें दौर की बात होनी है. इस बीच किसान नेताओं ने कहा कि वे अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं और उनकी ‘घर वापसी’ सिर्फ ‘कानून वापसी’ के बाद होगी.
आइए जानते हैं किसान आंदोलन और कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के 10 अपडेट्स:-
– चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि जिस तरह से सरकार इस मामले को हैंडल कर रही है, हम उससे खुश नहीं हैं. हमें नहीं पता कि आपने कानून पास करने से पहले क्या किया. पिछली सुनवाई में भी बातचीत के बारे में कहा गया, क्या हो रहा है?
-अदालत ने कहा, ‘हम किसान मामलों के एक्सपर्ट नहीं हैं, क्या आप इन कानूनों को रोकेंगे या हम कदम उठाएं. हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं, लोग मर रहे हैं और ठंड में बैठे हैं. वहां खाने, पानी का कौन खयाल रख रहा है?’
-सीजेआई ने कहा, ‘हम किसी का खून अपने हाथ पर नहीं लेना चाहते हैं. लेकिन हम किसी को भी प्रदर्शन करने से मना नहीं कर सकते हैं. हम ये आलोचना अपने सिर नहीं ले सकते हैं कि हम किसी के पक्ष में हैं और दूसरे के विरोध में.’
-चीफ जस्टिस ने कहा कि आप हल नहीं निकाल पा रहे हैं. लोग मर रहे हैं. आत्महत्या कर रहे हैं. हम नहीं जानते क्यों महिलाओं और वृद्धों को भी बैठा रखा है. खैर, हम कमेटी बनाने जा रहे हैं. किसी को इस पर कहना है तो कहे.
– चीफ जस्टिस ने कहा कि हम कानून वापसी की बात नहीं कर रहे हैं, हम ये पूछ रहे हैं कि आप इसे कैसे संभाल रहे हैं. हम ये नहीं सुनना चाहते हैं कि ये मामला कोर्ट में ही हल हो या नहीं हो. हम बस यही चाहते हैं कि क्या आप इस मामले को बातचीत से सुलझा सकते हैं. अगर आप चाहते तो कह सकते थे कि मुद्दा सुलझने तक इस कानून को लागू नहीं करेंगे.
– सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हमें आशंका है कि किसी दिन वहां (सिंघु बॉर्डर) हिंसा भड़क सकती है. इसके बाद साल्वे ने कहा कि कम से कम आश्वासन मिलना चाहिए कि आंदोलन स्थगित होगा. सब कमेटी के सामने जाएंगे. इस पर CJI ने कहा कि यही हम चाहते हैं, लेकिन सब कुछ एक ही आदेश से नहीं हो सकता. हम ऐसा नहीं कहेंगे कि कोई आंदोलन न करे. यह कह सकते हैं कि उस जगह पर न करें.
– सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि बहुत बड़ी संख्या में किसान संगठन कानून को फायदेमंद मानते हैं. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे सामने अब तक कोई नहीं आया है जो ऐसा कहे. इसलिए, हम इस पर नहीं जाना चाहते हैं. अगर एक बड़ी संख्या में लोगों को लगता है कि कानून फायदेमंद है तो कमेटी को बताएं. आप बताइए कि कानून पर रोक लगाएंगे या नहीं. नहीं तो हम लगा देंगे.
– AG केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया- ‘2000 किसान प्राइवेट पार्टियों के साथ पहले ही करार कर चुके हैं. अब ऐसे में कृषि कानूनों पर रोक लगाने से उनका भारी नुकसान होगा.’ सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- ‘सरकार किसानों की समस्याओं की हर पहलू से विचार कर रही है. आपका ये कहना है कि सरकार मामले को ठीक से हैंडल नहीं कर रही, बहुत कठोर टिप्पणी है.’ इस पर सीजेआई ने कहा- ‘ये तो आज की सुनवाई में हमारी ओर से दिया गया सबसे तथ्यपूर्ण बयान है.’
– सीजेआई ने कहा, ‘ऐसे अहम कानून संसद में ध्वनिमत से कैसे पास हो गए. अगर सरकार गंभीर है तो उसे संसद का संयुक्त सत्र बुलाना चाहिए. हम एक कमेटी बनाने का प्रपोजल दे रहे हैं. साथ ही अगले आदेश तक कानून लागू नहीं करने का आदेश देने पर भी विचार कर रहे हैं.’
– अब कमेटी ही बताएगी कि कानून लोगों के हित में हैं या नहीं. अब इस मामले को कल फिर सुना जाएगा, कमेटी को लेकर भी कल ही निर्णय हो सकता है.