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सुप्रीम कोर्ट- मकान मालिक और किराएदारों को नहीं काटने होंगे कोर्ट के चक्कर, इस एक्ट के तहत होगा विवादों का निपटारा

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मकान मालिक और किराएदारों के बीच होने वाले विवादों को निपटाने के लिए एक अहम फैसला दिया है. इस फैसले के बाद अब किराएदारों और मकान मालिकों को कोर्ट के चक्कर नहीं लगाने होंगे.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को मकान मालिक और किराएदारों के बीच होने वाले विवादों को निपटाने के लिए एक अहम फैसला सुनाया है. इस फैसले के बाद अब किराएदारों और मकान मालिकों को कोर्ट के चक्कर नहीं लगाने होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के तहत मकान मालिक और किराएदार (landlord and Tenant) के विवादों को मध्यस्थता (Arbitration) के जरिए सुलझाया जा सकता है. उन्हें लंबी और खर्चीली कानूनी लड़ाई में फंसने की जरूरत नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल (मध्यस्थता पंचाट) के पास ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट, 1882 के तहत आने वाले विवादों पर फैसला देने का अधिकार है. हालांकि स्टेट रेंट कंट्रोल लॉज के तहत आने वाले विवादों को आर्बिट्रेशन में नहीं भेजा जा सकता है और इनका फैसला कानून के तहत कोर्ट या फोरम ही करेंगे.

कोर्ट ने 2017 के अपने फैसले को पलटा

जस्टिस एनवी रमन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने 14 दिसंबर 2020 को विद्या ड्रोलिया और अन्य बनाम दुर्गा ट्रेडिंग कॉरपोरेशन मामले में यह महत्वपूर्ण फैसला दिया है. कोर्ट ने 2017 के अपने फैसले को ही पलट दिया है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एक 4 फोल्ड टेस्ट का भी सुझाव दिया है जिससे यह तय किया जा सकता है कि किसी विवाद को मध्यस्थता के जरिए सुलझाया जा सकता है या नहीं. मकान मालिक और किराएदार के बीच विवाद को मध्यस्थता के जरिए सुलझाने के लिए जरूरी है कि दोनों पक्षों के बीच एग्रीमेंट में इसका क्लॉज हो.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि सरकार पूरे देश में रेंटल हाउसिंग पर जोर दे रही है और किराएदारों के लिए चीजों को आसान बना रही है. कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा है कि मध्यस्थता पंचाट के फैसले को कोर्ट के आदेश की तरह लागू किया जा सकता है. मकान मालिक और किराएदारों के बीच विवाद को मध्यस्थता के जरिए सुलझाने के लिए जरूरी है कि दोनों पक्षों के बीच एग्रीमेंट में इसका क्लॉज हो. ताकि किराएदारों और मकान मालिकों के बीच होने वाले ढेर सारे मुकदमे कोर्ट जाने से बच सकें.