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लखनऊ: ड्यूटी में लापरवाही को लेकर डीएम सख्त, प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी का रोका वेतन

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अगर दो दिनों तक स्‍पष्‍टीकरण नहीं आया तो माना जाएगा कि आपको कुछ नहीं कहना है. ऐसे में आपके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी.

उत्तर प्रदेश वायु प्रदूषण (Air Pollution) की स्थिति कई शहरों में चिंताजनक बनी हुई है. स्थिति ये है कि राजधानी लखनऊ देश के तीसरे सबसे प्रदूषित शहर बन गया है. उधर ड्यूटी में लापरवाही बरतने के आरोप में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लखनऊ क्षेत्रीय अधिकारी (Regional Officer) की सैलरी रोक दी गई है. प्रदूषण नियंत्रण करने में दिखाई जा रही लापरवाही के चलते जिलाधिकारी यह फैसला लिया है. साथ ही अधिकारी को दो दिनों के भीतर इस पर जवाब देने के लिए कहा गया है.

जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने लखनऊ में प्रदूषण की खराब हालत का हवाला देते हुए क्षेत्रीय अधिकारी से कहा,“आपको बार-बार निर्देशित किया गया है कि प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए तत्‍काल प्रभावी कार्यवाही की जाए. पहले की बैठकों में लिए गए महत्‍वपूर्ण फैसलों पर भी आपने कोई कार्यवाही नहीं की. आपको फील्‍ड विजिट के निर्देश दिए थे लेकिन आपने ऐसा नहीं किया.

आदेश पत्र में लिखा है कि अगले आदेशों तक आपका वेतन रोका जाता है. साथ ही निर्देशित किया जाता है कि दो दिनों के अंदर स्‍पष्‍टीकरण प्रस्‍तुत करें कि क्‍यों आप अपने सरकारी दायित्‍वों का निर्वाह नहीं कर रहे हैं. अगर दो दिनों तक स्‍पष्‍टीकरण नहीं आया तो माना जाएगा कि आपको कुछ नहीं कहना है. ऐसे में आपके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी.

किसानों में फैलाएं जागरूकता

सीएम ने कहा कि किसानों को बताएं कि पराली जलाना पर्यावरण के साथ आपकी जमीन की उर्वरा शक्ति के लिए भी ठीक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (NGT) ने पराली जलाने को दंडनीय अपराध घोषित किया है. किसान ऐसा करने की जगह उन योजनाओं का लाभ उठाएं, जिससे पराली को निस्तारित कर उसे उपयोगी बनाया जा सकता है. सरकार ऐसे कृषि यंत्रों पर अनुदान भी दे रही है. कई जगह किसानों ने इन कृषि यंत्रों के जरिए पराली को कमाई का जरिया बनाया है. बाकी किसान भी इनसे सीख ले सकते हैं.

सीएम ने कहा कि किसानों के ये सारी चीजें बताई जानी चाहिए. मालूम हो कि पराली के साथ फसल के लिए सर्वाधिक जरूरी पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश (एनपीके) के साथ अरबों की संख्या में भूमि के मित्र बैक्टीरिया और फफूंद भी जल जाते हैं. यही नहीं, बाद में भूसे की भी किल्लत बढ़ जाती है.