नगर निगम चुनाव की घंटी बज उठने के साथ कांग्रेस और भाजपा में हलचल तेज हो गई है। दोनों पार्टियों के नेता पूरी तरह से एक्टिव मोड में आ चुके है। टिकट के दांवेदारों ने नेताओं के घर के चक्कर काटना शुरू कर दिया है। हालांकि दोनों पार्टियों ने काफी मशक्कत पहले ही कर रखी है। ऐसे में लगता नहीं कि नया कुछ निकल कर सामने आए। कांग्रेस में सब कुछ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तय करेंगे, वहीं भाजपा में कहने को तो कोर कमेटी को आगे किया हुआ है, लेकिन टिकट वितरण में संघ की भूमिका महत्वपूर्ण साबित होगी। पार्टी इस खोशिश में जुटी है कि गहलोत को घर में ही पूरी तरह से घेर लिया जाए।
कांग्रेस ने प्रत्येक वार्ड से पांच-पांच नाम को अंतिम रूप दे रखा है और पार्टी अब नए आवेदन स्वीकार नहीं कर रही है। वहीं भाजपा के पास पूर्व में प्रत्येक वार्ड से कुछ नाम आए थे। अब पार्टी नए सिरे से आवेदन मांग रही है। ऐसे में पार्टी को उम्मीद है कि प्रत्येक वार्ड से सात-सात नाम सामने आ जाएंगे। इसके बाद पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में इन्हें अंतिम रूप प्रदान किया जाएगा।
कांग्रेस में सिर्फ गहलोत
कांग्रेस में कहने को तो जिलाध्यक्ष सईद अंसारी, शहर विधायक मनीषा पंवार, पूर्व महापौर रामेश्वर दाधीच व जेडीए के चेयरमैन रह चुके राजेन्द्र सोलंकी टिकट वितरण में अहम भूमिका निभाते नजर आ रहे है, लेकिन कांग्रेस में सारा दारोमदार सिर्फ मुख्यमंत्री गहलोत पर टिका है। प्रत्याशियों के नामों की सूची को वे ही अंतिम रूप प्रदान करेंगे। ये नेता गहलोत के समक्ष अपने पसंद के नाम की दमदार पैरवी करने की स्थिति में भी नहीं है। गहलोत का प्रत्याशी चयन करने का अपना खुद का तरीका है। वे अपने स्तर पर मिले फीडबैक के आधार पर प्रत्याशी तय करते है। अप्रेल में प्रस्तावित चुनाव के समय कांग्रेस ने प्रत्येक वार्ड से पांच-पांच नाम को अंतिम रूप प्रदान किया था। अब पार्टी नए सिरे से लोगों से आवेदन नहीं ले रही है। पुराने नामों में से प्रत्याशियों का चयन कर लिया जाएगा। कुछ नाम इस सूची के बाहर से भी हो सकते है
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भाजपा इस बार नहीं उतारेगी वरिष्ठ नेताओं को
वर्ष 2014 में गहलोत के घर में अपना बोर्ड बनाने के लिए भाजपा ने विशेष रणनीति बना अपने सभी वरिष्ठ नेताओं को पार्षद चुनाव मैदान में उतार दिया। इसका उसे लाभ भी मिला और पार्टी बोर्ड बनाने में सफल रही, लेकिन इस बार हालात बदले हुए नजर आ रहे है। जोधपुर के दो नगर निगम उत्तर व दक्षिण में इस बार महापौर पद महिलाओं के लिए आरक्षित हो चुके है। ऐसे में पार्टी के वरिष्ठ नेता चुनाव मैदान में शायद ही अपना दमखम दिखाएंगे। माना जा रहा है कि पार्टी युवाओं को प्राथमिकता प्रदान करेगी, ताकि नए चेहरों को अवसर मिल सके और पार्टी में युवा नेताओं की एक नई कतार खड़ी हो सके।
हर वार्ड में औसत साढ़े चार हजार मतदाता
इस बार शहर में वार्डों की संख्या बढ़ाकर 160 कर दी गई है। ऐसे में शहर के 7.27 लाख मतदाता मिलकर 160 पार्षदों का चयन करेंगे। इस तरह प्रत्येक वार्ड में औसतन साढ़े चार हजार मतदाता होंगे। वर्ष 2014 के चुनाव में शहर में सिर्फ 65 वार्ड थे। उस समय एक वार्ड में दस हजार से अधिक मतदाता थे। इस बार चुनाव भी आपाधापी के बीच जल्दबाजी में हो रहे है। इस कारण प्रत्याशियों को मतदाताओं तक पहुंचने का समय कम मिलेगा, लेकिन दायरा छोटा होने के कारण वे इस समय में भी आसानी से अपने मतदाताओं से संपर्क साध सकते है।