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मोबाइल फोन ​पर ज्यादा खर्च करने के लिए रहें तैयार, इस रिपोर्ट ने बढ़ाई यूजर्स की चिंता!

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एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले दिनों में कई कारणों से टेलिकॉम इंडस्ट्रीज का औसत रेवेन्यू प्रति यूजर (ARPU) बढ़ने वाला है. ऐसे में मोबाइल फोन पर ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है. अगले 5 साल में वायरलेस इंडस्ट्री का रेवेन्यू करीब दोगुना बढ़कर 2,60,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है.

अब आपके मोबाइल फोन का बिल बढ़ने वाला है. सोमवार को जारी एक रिपोर्ट से पता चलता है कि टैरिफ में बढ़ोतरी समेत अन्य तरीकों के जरिए टेलिकॉम इंडस्ट्री (Telecom Industry) के औसत रेवेन्यू प्रति यूजर (ARPU – Average Revenue Per User) में इजाफा देखने को मिलेगा. ARPU के जरिए टेलिकॉम कंपनियां प्रति महीने एक यूजर से प्राप्त होने वाले रेवेन्यू का पता लगाती हैं. जे एम फाइनेंशियल ने ‘A tale of supremacy, defence and survival’ शीर्षक से एक रिपोर्ट में कहा है कि टेलिकॉम इंडस्ट्री में समेकन लगभग पूरा हो चुका है. लेकिन, साल 2024-25 में वायरलेस इंडस्ट्री का रेवेन्यू करीब दोगुना बढ़कर 2,60,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है. ARPU में इजाफा होने की पूरी संभावना है

इस रिपोर्ट में कहा गया, ‘हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 तक वायरलेस इंडस्ट्री का रेवेन्यू करीब 2,600 अरब रुपये तक पहुंच जाएगा. ARPU में इजाफा होने की इसलिए भी संभावना है, क्योंकि इस इंडस्ट्री में आने वाले दिनों में निवेश बढ़ने वाला है. वित्त वर्ष 2025 तक ARPU बढ़कर करीब 230-250 रुपये के करीब पहुंच सकता है.’ इस रिपोर्ट में यह भी कहा कि VIL के लिए जरूरी है कि वित्त वर्ष 2023 तक उसका ARPU बढ़कर 190 से 200 रुपये तक पहुंचे.

रिपोर्ट में कहा गया कि घरों तक फाइबर पहुंचाने का काम और एंटरप्राइज कनेक्टिविटी ​बिजनेस अभी भी शुरुआती स्टेज में ही है. आने वाले दिनों में टेलिकॉम इंडस्ट्रीज के लिए यह नये ग्रोथ इंजन के तौर पर उभर सकता है. रिपोर्ट में कहा गया, ‘टैरिफ बढ़ोतरी, रेगुलेटर की तरफ से और मार्केट की मांग के आधार पर एआरपीयू में इजाफा होने की उम्मीद है. कोविड- 19 के इस दौर में डेटा की मांग तेजी से बढ़ी है.’


रिपोर्ट में बताया गया कि निकट भविष्य के लिहाज से देखें तो बाजार में प्रतिस्पर्धा को देखते हुए टैरिफ बढ़ोतरी में अनिश्चितता बरकरार है. लेकिन टेलिकॉम इंडस्ट्री की सेहत की सुरक्षा के लिए नियामकी हस्तक्षेप की उम्मीद की जा सकती है. हमारा मानना है कि इस इंडस्ट्री के लिए पूंजीगत व्यय की एक साइकिल अब पूरी हो चुकी है.