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नहीं होगी कैश की कमी, मात्र 10 सेकेंड में मिलेगा 10 लाख रुपये का लोन, जानिए कैसे

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रेज़रपे ने कोरोना संकट में माइक्रो व स्मॉल एंटरप्राइजेज को कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराने के लिये ‘कैश एडवांस’ लॉन्च किया है. इसके तहत जरूरी अप्रुवल के बाद लघु एवं छोटे उद्यमों को 10 सेकेंड में 10 लाख रुपये तक का लोन मिल सकेगा. इसमें ऑटो रिपेमेंट की भी सुविधा मिलेगी.

कोरोना वायरस महामारी ने छोटे स्तर के उद्योगों के लिए न केवल कमाई की मुश्किलें खड़ी कर दी है, बल्कि अब उनके बचे रहने की उम्मीद भी कम होते दिख रही है. इसी को देखते हुए अब एमएसएमई सेक्टर में कैश फ्लो को सपोर्ट करने के ​लिए रेज़रपे ने कोलेटरल फ्री लाइन ऑफ क्रेडिट लॉन्च किया है, जिसका नाम ‘कैश एडवांस’ रखा गया है. कैश एडवांस के तहत अपनी जरूरत के आधार पर 50 हजार रुपये से लेकर 10 लाख रुपये उधार ले सकते हैं. रेज़रपे डैशबोर्ड के जरिये मात्र 10 सेकेंड के अंदर उन्हें यह उधार मिल जाएगा. हालांकि, इसके लिए उनके बिजनेस का क्रेडिट हिस्ट्री बेहतर होना चाहिए.

छोटे उद्यमों को कार्यशी पूंजी का संकट
ग्लोबल एनलिटिक्स कंपनी क्रिसिल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा महामारी ने माइक्रो व स्मॉल एंटरप्राइजेज को कार्यशील पूंजी तक का प्रबंधन करना मुश्किल कर दिया है. इनकी तुलना में बड़े और मध्यम स्तर के उद्यमों को अपनी कार्यशील पूंजी का प्रबंधन करना आसान है.

सरकारी स्कीम्स के तहत लोन लेने में अड़चन
भारत में करीब 6.3 करोड़ हैं. इनमें से 40 फीसदी ने बैंकों व अन्य लेंडिंग इंस्टीट्यूशंस जैसे फॉर्मल चैनल से लोन लिया है. 60 फीसदी के पास अभी भी कार्यशील पूंजी उपलब्ध नहीं है. हालांकि, सरकार भी कई स्कीम्स के तहत इस सेक्टर को लोन मुहैया करा रही है. लेकिन अधिकतर को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. दरअसल, सरकार की मदद से जारी किए जाने वाले लोन कोलेटरल, साइज, विन्टेज और क्रेडिट हिस्ट्री पर निर्भर करता है. साथ ही इन स्कीम्स के तहत बिजनेस को के तहत क्वॉलिफाई होना अनिवार्य है. केंद्र सरकार ने के लिए जो परिभाषा तय की है, उसमें उन्हें फिट होना जरूरी है ताकि बैंकों से लोन मिल सके.

पूंजी नहीं होने की वजह से बढ़ रहा घाटा
रेज़रपे का कहना है कि छोटे मैन्युफैक्चरर्स, ई-कॉमर्स सेलर्स और सर्विस प्रदाताओं को कस्टमर्स से पेमेंट मिलने के पहले भी कैश की जरूरत होती है. जैसे किसी ई-कॉमर्स सेलर को ऑर्डर की शॉर्ट नोटिस पर स्टॉक तैयार करना होता है, जिसके लिए उनके पास कैश होना चाहिए. सप्लायर्स तक मैन्युफैक्चरर्स को जरूरी सामान नहीं मुहैया करा पा रहे हैं, क्योंकि उनके पास पर्याप्त पूंजी नहीं है. इससे मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया रुक रही है और उनका घाटा लगातार बढ़ रहा है.

कैश एडवांस मर्चेंट के पेमेंट हिस्ट्री के आधार पर क्रेडिट ऑफर करता है. अप्रुवल के बाद बिजनेस अपनी जरूरत के हिसाब से पैसे निकाल सकते हैं और जब उनके पास पैसे आएंगे, तब वो इसे जमा कर सकते हैं. इन उद्यमों का कैश एंडवांस रिन्युवल हर 6 या 12 महीने में होगा. इसमें ऑटोपेमेंट का भी विकल्प होगा.

रेज़रपे के CTO और सह-संस्थापक शशांक कुमार ने कहा कि इस सर्विस के साथ हम अपने पार्टनर्स को कैश फ्लो मेंटेन करने में मदद कर रहे हैं. हमारा फाइनेंसिंग प्रोसेस आसान है और छोटी अवधि के लिए ​उद्यमों का क्रेडिट हिस्ट्री बेहतर होने की जरूरत भी नहीं है.