आपके लिए यह समझ पाना वाकई बहुत मुश्किल है कि कौन सा सोना वैध ढंग से आप तक पहुंच रहा है और कौन सा अवैध लेकिन सरकार और भारत के वो कारोबारी, जो अमेज़न की खदानों से निकलने वाले सोने के आयात से सीधे जुड़े हैं, वो समझ सकते हैं इसलिए जंगल के लोगों ने एक भावुक मानवीय संदेश भेजा है.
अमेज़न के जंगलों से भारत के लिए एक संदेश आ रहा है : ‘हमारी धरती यानोमामीसे आप तक जो सोना पहुंच रहा है, वो हमारे खून से सना है. भारत के लोगों, सरकार और आयात करने वाले कारोबारियों से हमारी गुज़ारिश है कि आप हमारे लोगों के खून में सने सोने को खरीदना बंद करें. आप बार बार सोचें कि ये गलत है और यानोमामी ब्लड गोल्डन खरीदें…’
इस अपील में कुछ तो संवेदना है. कोई तो कहानी है जो दुनिया से खुद को अलग थलग रखने वाली एक जनजाति को मजबूर कर रही है कि वो सामने आकर ऐसी अपील करे. मानवाधिकारों की वकालत करने वाली लंदन स्थित संस्था सर्वाइवल इंटरनेशनल पर इस जनजाति के डारियो कोपनावा ने एक वीडियो के ज़रिये यह अपील की है, जो अंग्रेज़ीसंस्था ने जारी किया.
दक्षिण अमेरिका से भारत के लिए आ रहे इस संदेश का मतलब क्या है? ये कौन सी जनजाति है और किस संकट में है? इन तमाम सवालों के जवाब सिलसिलेवार जानने से एक जानने लायक कहानी सामने आती है.
कौन हैं यानोमामी? क्या हैं इनके कायदे?
उत्तरी ब्राज़ील और दक्षिणी वेनेज़ुएला के बॉर्डर से सटे जंगलों में जो करीब 250 गांव हैं, वहां यानोमामी जनजाति के आदिवासी करीब में रहते हैं, हालांकि सर्वाइवल इंटरनेशनल के मुताबिक इनकी आबादी 38 हज़ार के आसपास है. ये साउथ अमेरिका की मुख्य धारा से कटी हुई आबादी है. माना जाता है कि ये जनजाति करीब 15 हज़ार साल पहले एशिया से अमेरिका के अमेज़न जंगलों में पहुंची थी.
ब्राज़ील में करीब 96 लाख हेक्टेयर और वेनेज़ुएला में करीब 82 लाख हेक्टेयर के इलाके में फैली यह जनजाति पुराने तौर तरीकों से ही जीती है. इनके छोटे और गोल घरों को यानो या शबोनो कहा जाता है. इन आदिवासियों का एक दिलचस्प कानून ये है कि शिकारी अपने किए शिकार को बांटता है, खुद नहीं खाता. वह दूसरे शिकारी से मिला भोजन करता है.
खास बात यह है कि इस जनजाति में कोई एक मुखिया नहीं होता. सबको बराबरी का दर्जा हासिल है और हर तरह का फैसला ये लोग आपस में मिल बैठकर लंबी बातचीत के बाद रज़ामंदी के आधार पर करते हैं.
कोविड के खतरे में आदिवासी!
कोरोना वायरस महामारी से सबसे ज़्यादा प्रभावित देशों की लिस्ट में ब्राज़ील दुनिया का दूसरा देश है. यहां 41,23,000 कुल केस आ चुके हैं और 1,26,230 से ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं. ब्राज़ीली राष्ट्रपति बोलसोनारो की अटपटी नीतियां भी ब्राज़ील में संक्रमण का खतरा बढ़ते जाने का कारण रही हैं. बहरहाल, ब्राज़ील के अमेज़न जंगलों में बसी यानोमामी जनजाति भी आ चुकी है. उसकी पड़ोसी आदिवासी जनजातियों पर भी खतरा मंडराता दिख है.
क्या है ‘माइनर आउट कोविड आउट’?
यह कोई थ्योरी नहीं, बल्कि यानोमामी लोगों के चलाए गए अभियान का नाम है. नाम से चलाए गए इस अभियान के लिए जनजाति को दुनिया भर का सपोर्ट मिला है ताकि किसी तरह अस्तित्व में बची और अस्तित्व के संघर्ष में जुटी जनजाति को बचाने के लिए ब्राज़ील सरकार फौरन उचित कदम उठाए. एक एनजीओ कि इस जनजाति के बीच कोविड फैलने का बड़ा कारण माइनिंग के लिए आने वाले लोग हैं.
इसी आंकलन के मुताबिक माना जा रहा है चूंकि 40 फीसदी यानोमामी उन इलाकों में रहते हैं, जहां सोने की खदानें हैं और माइनिंग लगातार चलती रहती है, इसलिए इस जनजाति के सैकड़ों लोग संक्रमित हो सकते है.
क्या है ब्लड गोल्ड?
अमेज़न के जंगलों में जहां यानोमामी जनजाति रह रही है, वहां अवैध माइनिंग के चलते पिछले करीब 40 सालों से खून खराबा मचा हुआ है. अवैध माइनर यहां पहुंचते हैं और जंगल की संपत्ति को हड़पने के लिए कत्ले आम करते हैं. पिछले सात सालों के भीतर ही यानोमामी लोगों की 20 फीसदी आबादी खत्म की जा चुकी है. करीब 40 हज़ार माइनरों ने यहां खून खराबा, आदिवासियों के गांव उजाड़ने और उन्हें बीमार करने जैसे घिनौने काम किए हैं.
सर्वाइवल की 1992 में माइनरों को यहां से खदेड़ने के लिए सरकारी स्तर पर एक कोशिश हुई थी, लेकिन कानून की धज्जियां उड़ाकर 1993 में ही माइनर यहां पहुंचे और आदिवासियों का कत्ल किया. ब्राज़ील की एक अदालत ने इस मामले में पांच माइनरों को नरसंहार का दोषी भी पाया था लेकिन कभी भी अवैध खनन पर लगाम नहीं लगाई जा सकी
.जंगल, नदियां और खदानें… यानोमामी लोगों का जीवन जिन पर निर्भर करता है, माइनर सब कुछ लूट रहे हैं या तहस नहस कर रहे हैं. अब इस जनजाति के सामने संकट गहराता जा रहा है क्योंकि पर्यावरण, अस्तित्व के साथ ही अब माइनर इन्हें कोरोना संक्रमित भी कर रहे हैं. पहले भी अवैध माइनिंग से यहां महामारियां फैलती रही हैं. यहां मर्करी प्रदूषण भी सीमा से ज़्यादा पाया गया.
भारतीयों से अपील की वजह?
यानोमामी जनजाति के संरक्षण क्षेत्र में जो खदानें हैं, वहां से निकलने वाले सोने का बड़ा हिस्सा भारत में एक्सपोर्ट किया जाता है. आधिकारिक 2019 में यहां से 486 किलो सोना भारत आया था. लेकिन सर्वाइवल की रिपोर्ट्स की मानें तो यहां से ‘ब्लैक’ में बहुत सोना भारत पहुंचता रहा है.
नवंबर 2019 में न्यूयॉर्कर मैगज़ीन में जो रिपोर्ट छपी थी, उसके मुताबिक ब्राज़ील में जितना सोना उत्पादन होता है, उसका एक तिहाई भारत और चीन जाता है. ब्राज़ीली सोने का चौथा सबसे बड़ा आयात भारत करता है. यह बहुत मुश्किल है कि लोग वैध और अवैध सोने में फर्क समझ सकें. इन तमाम वजहों से यानोमामी लोग अब भारत से अपील करके सहयोग चाहते हैं.