राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर पूरे देश में वेबिनार, वर्चुअल कॉन्फ्रेंस और सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं. इसी क्रम में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री देश के सभी राज्यपालों के सम्मेलन को संबोधित करेंगे. इसमें राज्यों के शिक्षा मंत्री और विश्वविद्यालयों के कुलपति भी शामिल होंगे.
नयी दिल्ली. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी7 सितंबर को राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर राज्यपालों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगे. पीएमओ ऑफिस की ओर जारी एक बयान के मुताबिक शिक्षा मंत्रालय की ओर से आयोजित किए जाने वाले इस सम्मेलन में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए शामिल होंगे. सम्मेलन का विषय ‘उच्च शिक्षा के बदलाव में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की भूमिका’ रखा गया है.
राज्यपालों के इस सम्मेलन में सभी राज्यों के शिक्षा मंत्री, राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे. बयान में कहा गया, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 इक्कीसवीं सदी की पहली शिक्षा नीति है, जिसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के 34 वर्ष बाद घोषित किया गया है. नयी शिक्षा नीति को स्कूल और उच्च शिक्षा स्तर दोनों में बड़े सुधारों के लिए लाया गया है.’
नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को न्यायसम्मत और जागरूक समाज बनाने का प्रयास करती है. यह ऐसी भारत-केंद्रित शिक्षा प्रणाली की परिकल्पना करती है. जो भारत को वैश्विक महाशक्ति बनाने में सीधे योगदान करती है.
बयान के मुताबिक राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए व्यापक परिवर्तन देश की शिक्षा प्रणाली में आदर्श बदलाव लाएगा, और प्रधानमंत्री की सोच के अनुरूप आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में सक्षम एवं सुदृढ़ शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगा.
देशभर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विभिन्न पहलुओं पर कई वेबिनार, वर्चुअल कॉन्फ्रेंस और सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं. शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी ने पिछले दिनों राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधारों पर सम्मेलन आयोजित किया था, जिसे खुद प्रधानमंत्री ने संबोधित किया था.
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 29 जुलाई को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दी थी. यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है और यह 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की जगह लेगी.
सरकार के मुताबिक इसका उद्देश्य 21वीं सदी की जरूरतों के अनुकूल स्कूल और कॉलेज की शिक्षा को अधिक समग्र, लचीला बनाते हुए भारत को ज्ञान आधारित जीवंत समाज और ज्ञान की वैश्विक महाशक्ति में बदलना तथा प्रत्येक छात्र की यूनिक क्षमताओं को सामने लाना है.