Saudi Arabia और United Arab Emirates (UAE) से इंपोर्ट होने वाले केमिकल Flexible Slabstock Polyol पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगना तय माना जा रहा है.
नई दिल्ली. फोम बनाने में इस्तेमाल होने वाले केमिकल Flexible Slabstock Polyol पर सरकार एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने की तैयारी कर रही है. CNBC आवाज़ को सूत्रों से मिली जाानकारी के मुताबिक, मनाली पेट्रोल केमिकल ने Flexible Slabstock Polyol की भारत में सऊदी अरब और UAE से हो रही डंपिंग को लेकर वाणिज्य मंत्रालय की जांच शाखा डीजीटीआर (Directorate General of Trade Remedies) से शिकायत की थी. इसकी जांच में इस बात की पुष्टी हो गई कि Flexible Slabstock Polyol की भारी मात्रा में डंपिंग हो रही है.
अब क्या होगा- डीजीटीआर (Directorate General of Trade Remedies) ने जांच के बाद अब अपना फाइनल नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इसका मतलब साफ है कि सरकार एंटी डंपिंग ड्यूटी के लिए पूरा मन बना चुका है और जल्द इसको लेकर वित्त मंत्रालय नोटिफिकेशन जारी करेगा.
डीजीटीआर ने अपने नोटिफिकेशन में Flexible Slabstock Polyol पर एंटीडंपिंग ड्यूटी लगाने की सिफारिश की है. इस पर 101.81 डॉलर प्रति टन से लेकर 235.02 डॉलर प्रति टन तक ड्यूटी लगाने की सिफारिश की गई है. इसके बाद वित्त मंत्रालय के नोटिफिकेशन के साथ ही एंटी डंपिंग ड्यूटी लागू हो जाएगी.
सोडा ऐश पर भी लग सकती है एंटी डंपिंग ड्यूटी- घरेलू साबुन उद्योग को विदेशी कच्चे माल की डंपिंग के चलते हो रहे नुकसान पर जल्द ही बड़ा फैसला लिया जा सकता है. सरकार अमेरिका और टर्की से इसके लिए आयात किए जाने वाले सामान पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगा सकती है.
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज यानि डीजीटीआर ने फिलहाल इस पर प्रोविजनल एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने की सिफारिश की है.डीजीटीआर ने सोडा ऐश के आयात के मामले में भारतीय कंपनियों की शिकायतों के बाद डंपिंग के मामले में जांच शुरू कर दी थी.
- जांच के के दौरान इन कंपनियों की तरफ से दिए गए सबूतों को सही पाया गया है और डीजीटीआर ने सोडा ऐश के अमेरिकी और टर्की की कंपनियों से आयात पर प्रोविजनल एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने की सिफारिश की है.
- शुरुआती जांच के आधार पर फिलहाल सोडा ऐश पर 275 डॉलर प्रति मीट्रिक टन एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने के निर्देश दिए गए हैं. इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर साबुन और डिटर्जेंट बनाने में होता है.
- डीजीटीआर की तरफ से ये भी कहा गया है कि 30 सितंबर तक संबंधित सभी कंपनियों को इस बारे में अपनी राय रखने का भी समय दिया गया है. उसके बाद ही एंटी डंपिंग ड्यूटी पर अंतिम फैसला लिया जाएगा.