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Final Year Exam के लिए खुलेंगे शिक्षण संस्थान, SC में गृह मंत्रालय ने दायर किया हलफनामा

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गृह मंत्रालय (Home Ministry) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को सूचित किया है कि उसने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के आदेशानुसार अंतिम वर्ष की परीक्षाएं (Final year Exam) आयोजित करने के लिए देशभर में सीमित शिक्षण संस्थानों को 6 जुलाई को अनुमति दी है. यूजीसी के अनुसार निर्देश, कॉलेजों/ विश्वविद्यालयों को 30 सितंबर, 2020 से पहले या तो ऑनलाइन, ऑफ़लाइन या सम्मिश्रण दोनों माध्यमों से परीक्षा आयोजित करवानी होगी.

सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में गृह मंत्रालय ने कहा है कि यह फैसला मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा किए गए अनुरोधों और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 10 (2)(1) के तहत जारी किए गए निर्देशों के अनुसार लिया गया है.

31 अगस्त तक बंद हैं सभी शिक्षण संस्थान
गृह मंत्रालय ने शीर्ष अदालत को सूचित किया है कि जबकि अनलॉक -3 दिशानिर्देशों के तहत 31 अगस्त तक स्कूलों, कॉलेजों, शैक्षिक और कोचिंग संस्थानों को बंद रखना जारी रखा गया है. ऐसे में भी यूजीसी के दिशा-निर्देशों के संदर्भ में विश्वविद्यालयों / संस्थानों को फाइनल ईयर की परीक्षा कराने के लिए छूट दी गई है.
शीर्ष अदालत के समक्ष दायर एक हलफनामे में गृह मंत्रालय ने कहा कि बड़ी संख्या में छात्रों की शैक्षणिक रुचि को देखते हुए निर्णय लिया गया था. UGC को फाइनल ईयर की परीक्षाएं आयोजित करने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं, इस मुद्दे पर COVID-19 महामारी के मद्देनजर परीक्षाओं को रद्द करने के लिए छात्रों और अभिभावकों द्वारा दायर कई याचिकाओं के साथ शीर्ष अदालत में बहस की जा रही है.

यूजीसी ने भी SC में दायर किया था हलफनामा
इससे पहले यूजीसी (UGC) ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि विश्वविद्यालयों (University) में परीक्षाओं के आयोजन का ज़िम्मा यूजीसी का है न कि किसी राज्य सरकार का. यूजीसी ने अपने हलफनामे में फिर दोहराया है कि वह सितंबर तक परीक्षाओं के आयोजन के हक़ में हैं, जो कि छात्रों के भविष्य के हित के मद्देनज़र सही है.

छात्रों ने किया यूजीसी के निर्देश का विरोध
यूजीसी ने देशभर के विश्वविद्यालयों को अंतिम वर्ष की परीक्षाएं 30 सितंबर तक आयोजित करवाने का निर्देश दिया था, जिसका 31 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर विरोध किया है, छात्रों की दलील है कि कोरोना संकट काल में हर जगह हर छात्र के लिए परीक्षाओं में शामिल हो पाना संभव नहीं है