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क्या थी क्रैश हुए एयर इंडिया विमान की कीमत, कैसे होगी भरपाई?

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एअर इंडिया एक्सप्रेस (Air India Express) का एक विमान 7 अगस्त को केरल (Kerala) के कोझिकोड एयरपोर्ट (Kozhikode Airport) पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. हादसे में 190 लोगों से भरे विमान में 18 की मौत हो गई. वहीं विमान दो टुकड़ों में टूट गया. अब एयर इंडिया भरपाई के लिए इंश्योरेंस कंपनी से संपर्क में है. जानिए, कैसे होता है प्लेन का इंश्योरेंस और हादसा होने पर किस हद तक भरपाई हो सकती है.

भरपाई के लिए शुरू हो चुकी कवायद
एयर इंडिया के पास 170 विमान हैं. इसके लिए जो बीमा पॉलिसी ली गई है, उसके तहत एयरक्राफ्ट से लेकर क्रू और यात्रियों के नुकसान की भरपाई भी संभव है. दुर्घटनाग्रस्त विमान का 375 करोड़ रुपए का इंश्योरेंस था. अब चूंकि प्लेन पूरी तरह से टूट-फूट चुका है इसलिए इसका पूरा इंश्योरेंस पाने की कोशिश की जाएगी. हालांकि माना जा रहा है कि हादसे में बुरी तरह से क्षतिग्रस्त विमान के कुल इंश्योरेंस का लगभग 90 प्रतिशत ही वापस मिल सकता है.

हाल ही में हुआ था बीमा का नवीनीकरण

अगर इंश्योरेंस मिल सका तो ये एयर इंडिया के इंश्योरेंस की सबसे बड़ी भरपाई होगी. बता दें कि इसी 1 अप्रैल को एयर इंडिया ने इंश्योरेंस की रिन्यूअल के लिए 3 करोड़ डॉलर दिए थे. ये प्रक्रिया हर साल होती है ताकि अगर कभी दुर्घटना हो जाए तो भरपाई हो सके. इसमें उन परिवारों को भी भरपाई की जाएगी, जो दुर्घटना में मारे गए या गंभीर रूप से घायल हो गए. यानी एयर इंडिया प्लेन के साथ-साथ यात्रियों का भी बीमा करवाती है. बीमा राशि मिलने के बाद इन सबको भुगतान किया जाएगा.

इंडियन एक्सप्रेस ने इंडस्ट्री के विशेषज्ञों के हवाले से बताया कि क्लेम की राशि पूरी मिलेगी क्योंकि विमान की मरम्मत अब मुमकिन नहीं. इनके मुताबिक बीमा क्लेम के लिए सर्वे शुरू हो चुका है. चूंकि दुर्घटना का शिकार हुए विमान की लागत 90 से लेकर 134 मिलियन डॉलर तक हो सकती है, ऐसे में विमान की कुल कीमत का लगभग आधा भुगतान हो सकता है, जो बीमा का काफी बड़ा हिस्सा होगा. ये राशि 45 से 55 मिलियन डॉलर तक हो सकती है. क्लेम पर आधारित राशि देने के लिए पहले बीमा कंपनी सारे ब्यौरे देखेगी, इसके बाद कोई फैसला लेगी.

इंश्योरेंस में इजाफा हो सकता है
बीमा अधिकारियों के मुताबिक अब लगातार बढ़ती हवाई दुर्घटनाओं के कारण कंपनियों को बीमा के लिए ज्यादा प्रीमियम देना हो सकता है. जैसे एयर इंडिया को ही लें तो अगले साल बीमा के रिन्यूअल के लिए उसे ज्यादा प्रीमियम देना पड़ेगा. इसकी शुरुआत पहले से ही हो चुकी है. साल 2018 में इथियोपियाई एयरलाइंस के विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद भी एयर इंडिया का प्रीमियम लगभग दोगुना हो गया था. अब साल 2020 के लिए एयर इंडिया ने लगभग 30 मिलियन डॉलर का भुगतान किया हुआ है. ये सारी एयरलाइन्स के साथ है. उड़ान के लिए सबको बीमा कराना होता है.

इस साल एक के बाद एक हुए हादसे
इस साल एक के बाद एक कई हवाई हादसे हुए हैं. जैसे मई 2020 को पाकिस्तान का एयरबस ए 320 हादसे का शिकार हो गया. ठीक ईद से दौरान हुए इस हादसे में विमान में सवार 99 लोगों में से 97 मारे गए थे. इसी तरह से फरवरी में तुर्की के इस्तांबुल में पेगासस एयरलाइंस के बोइंग 737-800 के दुर्घटनाग्रस्त होने पर 3 जानें गईं, जबकि 179 लोग घायल हुए. हादसे में विमान बुरी तरह से टूट-फूट गया. एक और हादसा इसी साल की जनवरी में ईरान में हुआ था, जब यूक्रेन के बोइंग 737-800 के एक्सिडेंट से प्लेन में सवार सभी 176 यात्रियों और क्रू मेंबर्स की मौत हो गई.

विमान हादसों को देखते हुए एविएशन इंश्योरेंस की शुरुआत 20वीं सदी की शुरुआत से ही हो गई थी. साल 1911 में सबसे पहले लॉयड्स कंपनी ने बीमा पॉलिसी बनाई थी लेकिन अगले ही साल एक हवाई दुर्घटना हुई. जिसके बाद बीमा भरने से परेशान हुई कंपनी ने बीमा करना बंद कर दिया.

इसके बाद भी बीमा की कवायद होती रही लेकिन साल 1929 में सबसे पक्के नियम आए. इसे वारशॉ कनवेंशन के नाम से जाना जाता है. इसके तहत विमानों का बीमा जरूरी है. वैसे बीमा का दायरा काफी बढ़ा हुआ है और इसके कई प्रकार होते हैं. लेकिन आमतौर पर सभी एयरलाइंस को दुर्घटना होने की स्थिति में यात्रियों के परिवार को भी भुगतान करना होता है.