आयकर विभाग (Income Tax Department) ने दावा किया है कि स्क्रूटनी (जांच) के लिए चुने गए रिटर्न में से मामलों का प्रतिशत घटकर 0.25 फीसदी पर आ गया है. वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि टैक्सपेयर्स (Taxpayers) को बेहतर सर्विस देने के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे है. इसीलिए जांच के लिए चुने गए मामलों में पिछले कुछ वर्षों में काफी कमी आई है. इसीलिए आज हम आपको बता रहे हैं कि कब और किस वजह से टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट नोटिस थमाता है.
टैक्स छूट लेने के लिए गलत जानकारी न भरें-लोग टैक्स से बचने के लिए फर्जी छूटों का सहारा लेते हैं. झूठे दान की आड़ में टैक्स बचाने की कोशिश की जाती है. इसके अलावा बच्चों की पढ़ाई के नाम पर फर्जी फीस रसीदें, फर्जी किराये की रसीदें, बिल, लोन के कागज, नकली निवेश की रसीदें आदि का इस्तेमाल भी किया जाता है. यदि आपने कोई भी फर्जी छूट अपनी ITR में दिखाई है तो आप यकीन मानें कि वर्तमान समय में आप इनकम टैक्स विभाग की नज़रों में हैं और आप पर कार्रवाई की जा सकती है.
गलत ITR फॉर्म भरने पर–आयकर विभाग ने कई ITR फॉर्म निर्धारित किए हैं. आपको अपनी आय के साधन के आधार पर सावधानी से अपना तय ITR चुनना होगा, वरना आयकर विभाग इसे अस्वीकार कर देगा और आपको इनकम टैक्स के सेक्शन 139(5) के तहत संशोधित विवरणी (Revised Return) दाखिल करने के लिए कहा जाएगा.
बचत खाते के ब्याज की सही जानकारी नहीं देने पर-इनकम टैक्स रिटर्न भरते वक्त बचत खाते पर मिलने वाले ब्याज को जरूर दिखाएं. अगर आप अपनी इस आय को नहीं दिखाते हैं, तो इसे टैक्स चोरी के तौर पर देखा जाएगा और आपके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है जबकि अगर आप इस ब्याज को अपनी ITR में दिखाते हैं तो इनकम टैक्स के सेक्शन 80TTA के द्वारा आप इस ब्याज पर 10000 तक की छूट का लाभ उठा सकते हैं. इसीलिए इस आय को न छुपाएं.
अपने बारे में सही जानकारी दें- अपनी सभी जानकारियों को सही-सही ITR फॉर्म में भरें. ध्यान रहे कि आपके नाम की स्पेलिंग, पूरा पता, ईमेल, कॉन्टेक्ट नंबर जैसी जानकारी आपके पैन, ITR और आधार में एक जैसी हो. वही मोबाइल नंबर डालें जिस पर SMS आ सके. गलत जानकारी देने पर आपको रिफंड मिलने में मुश्किल होगी. विभाग से बचने के लिए गलत जानकारी देना महंगा पड़ सकता है.
इनकम टैक्स रिटर्न सही समय पर फाइल नहीं करने पर- टैक्सपेयर्स अक्सर आईटीआर टाइम पर फाइल करना भूल जाते हैं. आईटीआर फाइल करने के लिए अधिक समय की आवश्यकता होती है, ऐसे में इसे आखिरी समय में भरने की कोशिश न करें. समय रहते रिटर्न फाइल कर दें. इस तरह आप खुद को पेनाल्टी से बचा सकते हैं.
बेहद जरूरी है टैक्स रिटर्न को वेरिफाई कराना- कई लोगों को लगता है कि टैक्स रिटर्न भरने के बाद उनका काम खत्म हो गया है लेकिन आपको टैक्स रिटर्न फाइल करने के बाद उसे वेरिफाई भी करना होता है. आप अपने इनकम टैक्स के ई-फाइलिंग पोर्टल से अपने टैक्स रिटर्न को ई-वेरिफाई कर सकते हैं या सीपीसी-बेंगलुरु भेज कर भी उसे वेरिफाई करा सकते हैं.
नौकरी बदलने पर भी देनी होती है ये जानकारी – आयकर रिटर्न भरते वक्त ध्यान रखें कि यदि आपने वित्त वर्ष के एक नौकरी छोड़कर दूसरी जॉइन की है तो रिटर्न भरते वक्त दोनों कंपनियों से हुई आय का विवरण ITR में दें. ऐसे में जरूरी है की आप अपनी पिछली और वर्तमान दोनों ही कंपनियों के नियोक्ता से फॉर्म 16 अवश्य लें. फॉर्म 16 सुनिश्चित करता है कि आपके रिटर्न में कम से कम समय लगे और उसमें कम से कम गलतियां हों.
आमदनी से जुड़ी सभी जानकारी दें-ITR फॉर्म में कई कॉलम है जहां कृषि आय, लाभांश, दीर्घ अवधि के पूंजीगत लाभों (लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन) पर मिलने वाली छूट का ब्योरा विशेष रूप से अलग कॉलम में देना होता है. यहां ठीक से छूट प्राप्त आय व कर मुक्त आय की जानकारी दें.
नोटिस से घबराने की जरुरत नहीं! टैक्स डिपार्टमेंट खुद करेगा मदद-आयकर विभाग ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति या करदाता को विभाग की ओर से कर जांच का नोटिस मिल भी जाता है तो उसे घबराने की जरूरत नहीं है. ‘‘संपर्क रहित आयकर आकलन व्यवस्था आपकी मदद करेगी. अपनी आय और कर के बारे में समझाने के लिए आपको (करदाता) स्थानीय आयकर अधिकारी से व्यक्तिगत तौर पर मिलने की जरूरत नहीं है.’’
इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सबमिट कर सकते हैं जवाब
विभाग ने कहा कि व्यक्ति अपने जवाब को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से आयकर विभाग की वेबसाइट (Tax Department Website) पर जमा करा सकता है. इन जवाबों के आकलन के लिए आयकर विभाग की विशेष टीमें बनायी गयीं हैं जो देश के विभिन्न शहरों में काम करती हैं.