मुंबई. H1-B Visa के लिए बेसिक एप्लीकेशन फीस अब 21 फीसदी बढ़कर 460 डॉलर से 555 डॉलर हो जाएगी. L-1 Visa की बेसिक फीस भी 75 फीसदी बढ़कर 805 डॉलर हो जाएगी. L-1 Visa का इस्तेमाल किसी कर्मचारी के इंट्रा-कंपनी ट्रांसफर (Intra-company Transfer) में होता है. दोनों तरह के वीजा का यह एप्लीकेशन फीस इस साल अक्टूबर से लागू हो जाएगा. चूंकि, वीजा का खर्च नियोक्ता द्वारा वहन किया जाता है, ऐसे में अब इन कंपनियों को अपने किसी कर्मचारी को विदेश भेजना पहले की तुलना में महंगा हो जाएगा.
H1-B आवदेकों में सबसे ज्यादा भारतीय
हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले वित्त वर्ष के 30 सितंबर 2019 तक करीब 3.88 लाख H1-B Visa जारी किया गया है. इसमें से करीब 2.78 लाखा वीजा यानी 72 फीसदी भारतीय लोगों को ही जारी हुआ था. इसमें वीजा एक्सटेंशन के भी आंकड़े शामिल हैं. एक तरफ सबसे ज्यादा संख्या में भारतीय लोग ही H1-B Visa के लिए आवेदन करते हैं. वहीं, अमेरिका स्थित कंपनियां भी अच्छी-खासी संख्या में H1-B Visa वर्कर्स को नौकरी देती हैं. फिलहाल, L-1 Visaके आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं
फिलहाल, अमेरिका की इमिग्रेशन एजेंसी, यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज यानी (USCIS) अमेरिकी सरकार से 1.2 अरब डॉलर की इमरजेंसी फंडिंग की मांग कर रही है. इस एजेंसी ने अपने वर्कफोर्स में 13,000 लोगों की छंटनी करने की योजना को अगस्त महीने के अंत तक के लिए टाल दिया है. आमतौर पर, इस एजेंसी की फंडिंग का एक बड़ा हिस्सा वीजा के लिए आवेदन किए जाने वाले फीस से आता है.
वीजा एक्सटेंशन पर भी भुगतान बढ़ा
वर्तमान में, जिन कंपनियों में 50 से ज्यादा कर्मचारी हैं और उनके 50 फीसदी या इससे ज्यादा कर्मचारियों को H1-B Visa या L-1 B Visa जारी किया गया है, ऐसी कंपनियों को प्रति H1-B Visa 4,000 डॉलर और प्रति L-1B Visa 4,500 डॉलर का भुगतान करना होता है. अब वीजा रिन्यू कराने यानी इसकी