दुनिया भर में कोरोना वायरस संकट (Coronavirus) के चलते धीमी पड़ी अर्थव्यवस्था की गति और भारत पर इसके असर को लेकर बातचीत की श्रृंखला में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने शुक्रवार को नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस (Mohammad Yunus)से बात की. बता दें यूनुस बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के संस्थापक और विख्यात इकॉनमिस्ट हैं. शुक्रवार को जारी किये गये वीडियो में राहुल ने यूनुस से कोरोना के ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर असर समेत कई अन्य सवाल किए. राहुल ने कहा- आप गरीबों की इकॉनमी समझते हैं. इसको कोरोना ने कैसे नुकसान पहुंचाया है.
इसके जवाब में यूनुस ने कहा कि मैं पहले से कह रहा हूं कि कोरोना संकट ने समाज की कुरीतियों को सतह पर ला दिया. गरीब, प्रवासी, मजदूर हमारे समाज का हिस्सा हैं और कोरोना के संकट ने सभी को सामने ला दिया. इन्हें अनौपचारिक क्षेत्र का हिस्सा माना जाता था जो हमारी इकॉनमी का हिस्सा नहीं है. अगर हम इनकी मदद करें तो इनके साथ इकॉनमी को आगे ले जा सकते हैं लेकिन हम ऐसा नहीं कर रहे हैं. अगर महिलाओं के संदर्भ में बात करें तो उन्हें समाज में निम्नतम माना जाता है. इकॉनमिक सेक्टर में उन्हें कोई नहीं पूछता लेकिन महिलाओं ने खुद को साबित किया है.
आखिर हम गांव में ही इकॉनमी खड़ी क्यों नहीं कर देते- यूनुस
बता दें कि कोरोना महामारी के चलते दुनियाभर में लगे लॉकडाउन के असर और बाद में इससे होने वाले परिणाम को लेकर राहुल गांधी दुनियाभर के दिग्गजों के साथ बातचीत कर रहे हैं. इस बार कांग्रेस नेता प्रवासियों ने अपने गृह जनपद में वापस लौटने और ग्रामीण क्षेत्रों में एक आर्थिक क्रांति को बढ़ावा देने को लेकर प्रौद्योगिकी की भूमिका पर चर्चा की.
इस दौरान राहुल ने कहा कि भारत-बांग्लादेश सरीखे देखों के लिए मुश्किल यह है कि छोटे कारोारी ही भविष्य हैं लेकिन सिस्टम नहीं देख रहा है. इस पर यूनुस ने कहा कि आर्थिक मामले में हम लोग पश्चिम देशों की तरह चलते हैं. इसलिए गरीब और छोटे कारोबारियों पर ध्या नहीं दिया गया. इसके पास बहुत उर्जा है लेकिन सरकारें इन्हें इकॉनमी का हिस्सा ही नहीं मानती है.
अब तक इन हस्तियों से बात कर चुके हैं राहुल गांधी
यूनुस ने कहा कि पश्चिम देशों में गांव के लोगों को नौकरी के लिए शहर भेजा जाता है. यही चीज भारत में हो रही है. आखिर हम गांव में ही इकॉनमी खड़ी क्यों नहीं कर देते. यूनुस ने कहा कि आज सभी के पास तकनीक है फिर भी लोगों को शहर भेजा जा रहा है. सरकार को चाहिए कि लोग जहां हैं. उन्हें वहीं काम दिया जाए.
राहुल ने कहा कि हमने पश्चिम से बहुत कुछ लिया लेकिन गांव को ताकतवर बनाना हम दोनों देशों का मॉडल है. महात्मा गांधी ने भी कहा था कि हमें अपनी ग्रामीण इकॉनमी को आगे बढ़ाना होगा. यूनुस ने कहा कि कोरोना संकट ने आर्थिक मशीनरी को रोक दिया. अब लोग सोच रहे हैं कि पहले जैसी स्थिति फिर से हो जाए. अगर ऐसा होता है तो बहुत बुरा होगा. कोरोना ने हमे कुछ नया करने का मौका दिया है. हमें कुछ अलग करना होगा ताकि हम पर्यावरण के मुद्दों को सुलझाते हुए समाज को बदल सकें
बता दें राहुल गांधी पिछले कुछ महीनों में कोविड-19 संकट के असर एवं इससे निपटने के तरीकों को लेकर अलग अलग क्षेत्रों की हस्तियों के साथ संवाद करते आ रहे हैं. इस क्रम में उन्होंने पूर्व अमेरिकी विदेश उप मंत्री निकोलस बर्न्स, उद्योगपति राजीव बजाज, जन स्वास्थ्य पेशेवर आशीष झा और स्वीडिश महामारी विशेषज्ञ जोहान गिसेक, प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री रघुराम राजन और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अभिजीत बनर्जी से भी बातचीत की थी