केंद्र सरकार देश में निजी ट्रेनें (Private Trains) चलाने की कवायद में लगातार जुटी हुई है. इसी क्रम में आज भारतीय रेलवे (Indian Railway) ने इच्छुक निजी कंपनियों (Private Companies) के साथ प्री-एप्लीकेशन कांफ्रेंस (Pre-Application Conference) की. कांफ्रेंस में 16 संभावित निजी कंपनियों ने शिरकत की. कंपनियों ने ट्रेन सेवाओं के निजीकरण के संबंध में अपने सवाल उठाए. इस पर रेलवे मंत्रालय (Ministry of Railways) के अधिकारियों और नीति आयोग (NITI Aayog) ने स्पष्टीकरण के साथ जवाब दिए. इस दौरान कंपनियों ने आरएफक्यू और परियोजना के लिए बोली के प्रारूप पर भी सवाल पूछे, जिनका उन्हें जवाब दिया गया. माना जा रहा है कि ट्रेन परिचालन में निजी कंपनियों के आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और सेवाओं की गुणवत्ता बेहतर होगी.
16 निजी कंपनियों ने शुल्क जमा कर डाउनलोड किए फॉर्म
रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि सोमवार शाम तक 16 इच्छुक निजी कंपनियों ने 2 लाख रुपये का शुल्क देकर फॉर्म डाउनलोड कर लिए थे. अधिकारी ने कहा कि इन कंपनियों ने शुरुआती रुचि दिखाई है. हालांकि, इनके अलावा काफी लोग आगे आ रहे हैं. निजी संस्थाओं को अपने नेटवर्क पर यात्री ट्रेनों को संचालित करने की अनुमति देने के लिए एक औपचारिक शुरुआत के तौर पर रेलवे ने इस महीने देशभर के 109 जोड़ी मार्गों पर 151 आधुनिक यात्री ट्रेनें चलाने के लिए कंपनियों से प्रस्ताव आमंत्रित किए.
साल 2026-27 तक देश में चलने लगेंगी 151 निजी ट्रेनें
सरकार को उम्मीद है कि इस परियोजना से रेलवे में करीब 30,000 करोड़ रुपये का निजी निवेश आएगा. निजी ट्रेनों की योजना के हिस्से के रूप में रेलवे ने 2022-23 में 12 ट्रेनों को शुरू करने की योजना बनाई है. वहीं, 2023-2024 में 45, वर्ष 2025-26 में 50 और इसके अगले वित्त वर्ष में 44 ट्रेनें चलाने की योजना बनाई गई है. इससे वित्त वर्ष 2026-27 तक देश में कुल निजी ट्रेनों की संख्या 151 हो जाएगी. बता दें कि देशभर के रेलवे नेटवर्क को 12 कलस्टर में बांटा गया है.
95 फीसदी ट्रेनों का संचालन भारतीय रेलवे ही करेगी
रेलवे की योजना पीपीपी मॉडल पर 5 फीसदी ट्रेनों का निजीकरण करने की है. वहीं 95 फीसदी बची ट्रेनें रेलवे द्वारा ही चलाई जाएंगी. इसके लिए टेंडर मार्च 2021 तक फाइनल कर लिए जाएंगे. कंपनियां निजी ट्रेनें चलाने के लिए 8 सितंबर तक आवेदन कर सकती हैं. इसके बाद 8 नवंबर तक कंपनियों को शार्ट लिस्ट किया जाएगा. फिर शार्ट लिस्ट की गई कंपनियां बोली में हिस्सा लेंगी. उम्मीद की जा रही है कि परियोजना में करीब 30,000 करोड़ रुपये का निजी निवेश होगा.
निजी ट्रेनों की अधिकतम रफ्तार 160 किमी/घंटा होगी
हर निजी ट्रेन में कम से कम 16 डिब्बे होंगे. ये ट्रेनें अधिकतम 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेंगी. इन ट्रेनों का रोलिंग स्टॉक निजी कंपनी खरीदेगी. मेंटेनेंस की जिम्मदारी भी उसी कंपनी की होगी. अधिकतर ट्रेनें मेक इन इंडिया के तहत भारत में बनाई जाएंगी. निजी कंपनी गाड़ियों के वित्तपोषण, खरीद, संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार होगी. रेलवे के अनुसार इन ट्रेनों का किराया भी प्राइवेट कंपनी ही तय करेंगी. निजी क्षेत्र की ओर से संचालित ट्रेनों के लिए भारतीय रेलवे सिर्फ ड्राइवर और गार्ड उपलब्ध कराएगा.