देश में खरीफ की फसल की बुआई का मौसम (Sowing Season) खत्म होने को है. ऐसे में देश की ग्रामीण बेरोजगारी दर (Rural Unemployment Rate) बढ़नी शुरू हो गई है. सेंटर ऑफ मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुताबिक, 19 जुलाई 2020 को खत्म हुए सप्ताह के दौरान ग्रामीण भारत में बेरोजगारी दर बढ़कर 7.1 फीसदी हो गई है, जो इससे पिछले हफ्ते 6.3 फीसदी थी. हालांकि, ये 25 मार्च को लॉकडाउन से पिछले सप्ताह के मुकाबले कम है. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आने वाले हफ्तों के दौरान इसमें और बढ़ोतरी होगी.
राष्ट्रीय बेरोजगारी दर बढ़कर 7.94 फीसदी हुई
सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक, 19 जुलाई को खत्म हुए सप्ताह के दौरान राष्ट्रीय बेरोजगारी दर (National Unemployment Rate) भी बढ़कर 7.94 फीसदी पर पहुंच गई, जो इससे पिछले सप्ताह 7.44 फीसदी थी. हालांकि, इस सबके बीच अच्छी खबर ये है कि शहरी इलाकों में नई नौकरियां मिलने के मामले में मामूली सुधार के संकेत मिले हैं. सप्ताह के दौरान शहरी क्षेत्र की बेरोजगारी (Urban Unemployment Rate) दर घटकर 9.78 फीसदी पर पहुंच गई है, जो इससे पिछले हफ्ते 9.92 फीसदी पर थी.
प्राकृतिक आपदाओं के कारण पैदा होंगी मुश्किलें
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगले कुछ महीनों तक देश के ग्रामीण (Rural India) और शहरी इलाकों में मजदूरों के सामने काम मिलने की चुनौती बनी रहेगी. वहीं, देश के अलग-अलग हिस्सों में मानसून के रफ्तार पकड़ने के कारण कई इलाकों में बाढ़ का संकट भी पैदा हो रहा है. इससे कृषि क्षेत्र के साथ ही स्व-रोजगार की गतिविधियां भी धीमी पड़ जाएंगी. इसके अलावा शहरी इलाके भी अभी लॉकडाउन के कारण कारोबारी गतिविधियां ठप पड़ने की मार से उबर नहीं पाए हैं. इन इलाकों में भी हालात धीरे-धीरे सामान्य होंगे.
‘मनरेगा से मिलने वाली मदद रहेगी नाकाफी’
इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर अरुप मित्रा कहते हैं कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम (NREGS) रोजगार बढ़ाने के मामले में कुछ हद तक मददगार साबित हो सकती हैं, लेकिन इससे बेरोजगारी दर पर कुछ खास असर नहीं होगा. बारिश के मौसम के दौरान खाली हुए हर ग्रामीण व्यक्ति को मनरेगा में काम नहंी मिल सकता है. वैसे भी कोरोना वायरस के डर के कारण बहुत बड़ी संख्या में ग्रामीण लोग शहरों से वापस लौटकर कृषि कार्यों में जुट गए हैं.