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Rajasthan Political Crisis: सचिन पायलट और MLA अब स्पीकर की नोटिस के खिलाफ जा सकते हैं सुप्रीम कोर्ट

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राजस्थान में मचे सियासी घमासान (Rajasthan Political Crisis) के बीच बागी नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot) और समर्थक विधायकों को विधानसभा स्पीकर ने नोटिस जारी किया है. इसके बाद ऐसी खबरें हैं कि पायलट इस नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं. मिली जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में व्हिप की वैधानिकता को चुनौती दी जा सकती है. इस बारे में सचिन पायलट गुट ने कानूनी सलाह ली है और उन्हें बताया गया है कि जो व्हिप जारी किया गया था वह असंवैधानिक है.

अगर व्हिप की वैधानिकता पर सचिन पायलट गुट को सुप्रीम कोर्ट से कोई आदेश या स्टे मिल जाता है, तो विधानसभा स्पीकर के भेजे गए नोटिस का कोई महत्व नहीं रहेगा. क्योंकि वह पार्टी पर के आधार पर ही भेजे गए हैं.  बताया गया कि कानूनी रूप से अगर स्टे मिलने में देरी होती है, तो तमाम विधायकों की तैयारी नोटिस का जवाब देने को लेकर भी है. नोटिस के जवाब में तमाम विधायक अपना जवाब देने के लिए कुछ समय मांग सकते हैं.

दरअसल, कांग्रेस ने विधायक दल की हालिया बैठकों से अनुपस्थित रहने पर राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और 18 अन्य विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराने की मांग की है. हालांकि, पार्टी ने फिर से कहा है कि पायलट और दूसरे बागी विधायकों के लिए दरवाजे बंद नहीं हुए हैं. राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने इसकी पुष्टि की है कि कांग्रेस की शिकायत पर बुधवार को 19 विधायकों को नोटिस भेजा गया. इन विधायकों को शुक्रवार तक नोटिस का जवाब देना है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस के बागी नेता पायलट का नाम लिए बिना बुधवार को दावा किया कि वह सीधे तौर पर भाजपा के साथ विधायकों की खरीद-फरोख्त में शामिल थे.

कांग्रेस ने बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की
सचिन पायलट और उनके समर्थक माने जा रहे 19 विधायक सोमवार और मंगलवार को विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए. पार्टी ने कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार को गिराने की साजिश में शामिल होने के आरोप में पायलट और दो मंत्रियों विश्वेंद्र सिंह, रमेश मीणा को मंगलवार को उनके पदों से बर्खास्त कर दिया था.

सूत्रों के अनुसार विधायकों को ये नोटिस भारतीय संविधान के अनुच्छेद 191 और सपठित 10वीं अनुसूची तथा राजस्थान विधानसभा .. दल परिवर्तन के आधार पर निरर्हता.. नियम 1989 के प्रावधान के तहत जारी किए गए हैं.

विधायकों से कहा गया है कि वे अपने लिखित जवाब तीन दिन में विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष पेश करें. इन याचिकाओं को 17 जुलाई को दोपहर एक बजे विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में विधानसभा अध्यक्ष के सामने रखा जाएगा. नोटिस में कहा गया है कि विधायक अगर लिखित टिप्पणी या जवाब नहीं देते हैं तो सम्बद्ध याचिका पर एक पक्षीय सुनवाई कर उसका निस्तारण कर दिया जाएगा. विधायकों को जारी नोटिस उनके निवास के बाहर भी चस्पा किए गए हैं और इनमें से कई नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं