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कितना खजाना है उस धनी मंदिर में, जिसपर SC ने पलटा केरल हाईकोर्ट का फैसला

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केरल (Kerala) के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर (Sree Padmanabhaswamy Temple) के प्रशासन और उसकी संपत्तियों के अधिकारी को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसला सुना दिया. मंदिर के प्रबंधन का अधिकार त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार को दिया है. बता दें कि इससे पहले केरल हाईकोर्ट ने मंदिर पर राज्य सरकार का अधिकार बताया था. माना जाता है कि ये मंदिर देश के सबसे धनी मंदिरों में से है, जिसके पास दो लाख करोड़ के आसपास की प्रॉपर्टी है. साथ ही मंदिर के चारों ओर रहस्यों का भी घेरा है. इसके सातवें दरवाजे के पीछे भारी खजाना होने की बात है. लेकिन कई कारणों से अब तक ये दरवाजा खुल नहीं सका. जानिए, क्या है पद्मनाभस्वामी मंदिर की दौलत का रहस्य.

मंदिर कब बना, इसपर कोई पक्का प्रमाण नहीं मिलता है. इतिहासकार Dr. L.A. Ravi Varma के अनुसार मंदिर लगभग 5000 साल पुराना है, जब मानव सभ्यता कलियुग में पहुंची थी. वैसे मंदिर के स्ट्रक्चर के लिहाज से देखें तो माना जाता है कि केरल के तिरुअनंतपुरम में बने पद्मनाभस्वामी मंदिर की स्थापना सोलहवीं सदी में त्रावणकोर के राजाओं ने की थी. इसके बाद से ही यहां के राजा इस मंदिर को मानते रहे. साल 1750 में महाराज मार्तंड वर्मा ने खुद को पद्मनाभ दास घोषित कर दिया. इसके साथ ही पूरा का पूरा राजघराना मंदिर की सेवा में जुट गया. अब भी शाही घराने के अधीन एक प्राइवेट ट्रस्ट मंदिर की देखरेख कर रहा है.

विष्णु को समर्पित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि राजाओं ने यहां अथाह संपत्ति छिपाकर रखी थी ताकि किसी जरूरत में काम आए. मंदिर में 7 गुप्त तहखाने हैं और हर तहखाने से जुड़ा हुआ एक दरवाजा है. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक के बाद एक छह तहखाने खोले गए. यहां से कुल मिलाकर 1 लाख करोड़ से ज्यादा कीमत के सोने-हीरे के आभूषण मिले, जो मंदिर ट्रस्ट के पास रख दिए गए. लेकिन आखिरी और सातवें दरवाजे के पास पहुंचने पर दरवाजे पर नाग की भव्य आकृति खुदी हुई दिखी. इसके साथ ही दरवाजा खोलने की कोशिश रोक दी गई. माना जाता है कि इस दरवाजे की रक्षा खुद भगवान विष्णु के अवतार नाग कर रहे हैं और इसे खोलना किसी बड़ी आफत को बुलाना होगा.

मंदिर पर आस्था रखने वालों की मान्यता है कि TP Sunder Rajan जिनकी याचिका के कारण दरवाजे खोलने का फैसला हुआ, उनकी एकाएक मौत भी इन्हीं दरवाजों का शाप है. बता दें कि इस रिटायर्ड पुलिस अफसर ने सबसे पहली बार कहा था कि मंदिर के तहखानों में अथाह संपत्ति हो सकती है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि मौजूदा ट्रस्ट इतने अमीर मंदिर की देखभाल करने लायक नहीं है और इसे राज्य सरकार के हाथ में चला जाना चाहिए. इसके बाद ही कोर्ट में मामला पहुंचा लेकिन इसी बीच सुंदर राजन की मौत हो गई. परिजनों ने उनकी मौत के बारे में इंडिया टुडे से कहा था कि ज्यादा तनाव के कारण उनकी मौत हुई.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक के बाद एक तहखानों के दरवाजे खोलने की बात कही. छह तहखाने खोल दिए गए. इनमें आभूषण, हीरे-जवाहरात, सोने के सिक्के और भारी मात्रा में तांबे-कांस के बर्तन मिले. माना जा रहा है कि इनकी कीमत लगाना काफी मुश्किल है. हालांकि कईयों का कहना है मिल चुकी सामग्री की कीमत 20 बिलियन डॉलर से ज्यादा ही होगी. इस खोज के बाद बहुत से लोगों ने ये भी कहा कि मंदिर की संपत्ति जनता की भलाई में लगनी चाहिए. कोरोना को लेकर कुछ समय पहले महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने ट्वीट किया था कि मंदिरों का सोना इमरजेंसी में काम आना चाहिए. लिस्ट में इस मंदिर का भी नाम था. इसपर काफी बखेड़ा उठा था कि मंदिर ही क्यों, दूसरे धार्मिक स्थलों की प्रॉपर्टी भी काम में लाई जाए.