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पाकिस्तान से उठा अमेरिका का भरोसा, चीन के साथ बड़ी लड़ाई की तैयारी

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कभी अमेरिका के भरोसेमंद साथी पाकिस्तान (Pakistan) से अब उसका रिश्ता कुछ खास नहीं रह गया है. पहले अमेरिका (America) पाकिस्तान पर आंख बंद करके विश्वास करता था. लेकिन जब पाकिस्तान ने उसके भरोसा का नाजायज फायदा उठाया तो अमेरिका ने भी उसके बारे में चिंता करना छोड़ दिया है. अब अमेरिका चीन के खिलाफ जंग की तैयारी कर रहा है. हाल में ही पाकिस्तान ने हर मोर्चे पर चीन का साथ देने का खुलेआम वादा किया है. पाक ने न केवल वन चाइना पॉलिसी का समर्थन किया है बल्कि ताइवान और हॉन्ग कॉन्ग के मुद्दे पर भी चीन के साथ हरदम खड़े रहने की बात कही है. यूरोपीय फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज के अनुसार, अमेरिका एशिया में रूस की बढ़त रोकने और सामरिक रूप से खुद को मजबूत बनाने के लिए पाकिस्तान की मदद लेता रहा है. लेकिन, हाल के दिनों में चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद समीकरण बदल गए हैं.

अमेरिका ने पाकिस्तान को न केवल अलग-थलग कर दिया है बल्कि, कई आर्थिक सहायता पर भी रोक लगा दी है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से लेकर डोनाल्ड ट्रंप तक के शासन काल में पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को खत्म कर दिया गया. इतना ही नहीं, हाल के दिनों में अमेरिका ने पाकिस्तान को सैन्य सहायता देने से भी इनकार किया है. अमेरिका की एक शीर्ष राजनयिक ने कहा था कि ट्रंप प्रशासन आतंकवादी समूहों का सफाया करने के लिए विश्वसनीय कदम उठाने के वास्ते इस्लामाबाद पर दबाव बना रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद की ओर से जेयूडी प्रमुख हाफिज सईद के अभियोजन और दोषसिद्धि जैसे आतंकवाद रोधी हाल में उठाए कदम महत्वपूर्ण तो हैं लेकिन स्थायी नहीं हैं.

इन मुद्दों को लेकर चीन से विवाद

अमेरिका और चीन के बीच विवाद का प्रमुख कारण दुनिया में अपना धौस जमाना है. ट्रेड वॉर के बाद, कोरोना वायरस, हॉन्ग कॉन्ग में नया सुरक्षा कानून, साउथ चाइना सी में अधिपत्य की होड़, भारत-जापान-ऑस्ट्रेलिया और ताइवान के खिलाफ चीन का आक्रामक रवैया, अमेरिकी पत्रकारों पर प्रतिबंध, उइगुरों का नरसंहार और तिब्बत को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद है.