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एशिया के सबसे बड़े सोलर प्‍लांट की बिजली से दौड़ेगी दिल्‍ली मेट्रो, जानिए इससे जुड़ी 10 बड़ी बातें

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नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (10 July 2020) को मध्य प्रदेश के रीवा में 750 मेगावाट की सौर परियोजना को राष्ट्र को समर्पित किया. पीएम मोदी ने इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया. मोदी ने कहा कि इस प्लांट से हम दुनिया के टॉप-5 देशों में पहुंच गए हैं. ये 21वीं सदी का सबसे अहम कदम है.यहां बनने वाली बिजली में से 24 प्रतिशत दिल्ली मेट्रो को जबकि शेष 76 प्रतिशत बिजली मध्य प्रदेश के राज्य बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को जाएगी.

आपको बता दें कि इसी साल जनवरी में 750 मेगावाट की क्षमता के साथ यहां बिजली उत्पादन शुरू हो गया था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी से समय नहीं मिलने की वजह से इसका लोकार्पण नहीं हो पाया था. यह परियोजना रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड (Rewa ultra mega solar limited), एमपी ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (MP urja vikas nigam ltd) और भारत के सौर ऊर्जा निगम का एक संयुक्त उद्यम है.

आइए आपको बताते हैं इस पावर प्लांट की 10 बड़ी बातें.. मध्यप्रदेश के रीवा में बनकर तैयार हुआ है और एशिया के सबसे बड़ा सौर संयंत्र (Solar plant) है. प्‍लांट्र की क्षमता 750 मेगावट बिजली उत्पादन की है. यह प्‍लांट रीवा से 25 किलोमीटर दूर गुढ़ में 1590 एकड़ में फैला हुआ है. इनोवेशन और उत्कृष्टता के लिए इसे वर्ल्ड बैंक ग्रुप प्रेसिडेंट अवॉर्ड भी मिला है. इसे प्रधानमंत्री की ‘अ बुक ऑफ इनोवेशन: न्यू बिगनिंग्स’ किताब में भी शामिल किया गया है यह परियोजना रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड (Rewa ultra mega solar limited), एमपी ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (MP urja vikas nigam ltd) और भारत के सौर ऊर्जा निगम का एक संयुक्त उद्यम है. दिल्ली मेट्रो इस प्रोजेक्ट के ग्राहकों में से एक होगा. यह दिल्ली मेट्रो को अपनी कुल उत्पादन का 24 प्रतिशत बिजली देगी जबकि शेष 76 प्रतिशत बिजली मध्य प्रदेश के राज्य बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को आपूर्ति की जाएगी. इस परियोजना में एक सौर पार्क के अंदर स्थित 500 हेक्टेयर भूमि पर 250-250 मेगावाट की तीन सोलर एनर्जी यूनिट्स शामिल हैं. इस प्रोजेक्‍ट से बनने वाली बिजली की दर 15 साल तक 0.05 रुपये प्रति यूनिट की बढ़ोतरी के साथ पहले साल 2.97 रुपये प्रति यूनिट होगी. इस हिसाब से 25 साल के लिए 3.30 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलेगी इस सौर पार्क के विकास के लिए आरयूएमएसएल को 138 करोड़ रुपये की केंद्रीय वित्तीय मदद प्रदान की गई है. पार्क के विकसित हो जाने के बाद आरयूएमएसएल ने पार्क के अंदर 250 मेगावाट की तीन यूनिट्स का निर्माण करने के लिए रिवर्स ऑक्शन के माध्यम से महिंद्रा रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड, एसीएमई जयपुर सोलर पावर प्राइवेट लिमिटेड और आरिन्सन क्लीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को चुना था. इस परियोजना से सालाना लगभग 15 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) के बराबर कार्बन उत्सर्जन को कम करेगी. बिजली की जरूरत बढ़ती जा रही है, ऐसे में बिजली की आत्मनिर्भरता बहुत जरूरी है, तभी आत्मनिर्भर भारत बन सकता है. आत्मनिर्भरता और प्रगति की बात करते हैं, तो अर्थव्यवस्था की बात जरूर आती है. इसीलिए इस प्लांट को देश की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम माना जा रहा है.