छत्तीसगढ़ में पिछले पांच दिन की बारिश को मौसम विशेषज्ञों ने ज्यादा बताया है। बारिश से रबी यानी गेहूं और चना तथा सब्जियों को होने वाले नुकसान का आंकलन शुरू कर दिया गया। अफसरों को अंदेशा है कि नुकसान 200 करोड़ रुपए के ऊपर जा सकता है।
पैटर्न वही लेकिन सेंट्रल इंडिया में ज्यादा असर
मौसम विभाग के डिप्टी डायरेक्टर जनरल एमएल साहू के अनुसार : मार्च में आमतौर पर बारिश होती है। इस समय पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक ट्रफ द्रोणिका बनती है। दो विपरीत दिशा से आ रही हवा का कंवर्जन क्षेत्र में भारी बारिश होती है। पश्चिम विक्षोभ के साथ ही उत्तर से दक्षिण की ओर कुछ द्रोणिकाएं बनीं, लेकिन उसका केंद्र मध्य भारत रहा है। इस वजह से मध्यप्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में जमकर बारिश हो रही है।
मार्च में बारिश होना सामान्य है, लेकिन मध्य भारत में कंवर्जन क्षेत्र बनने के कारण यहां ज्यादा बारिश हो रही है। एक साल में हुई बारिश के आधार पर पैटर्न में चेंज की धारणा नहीं बनाई जा सकती है। अब सिस्टम का असर खत्म हो गया है। इसका मतलब यह नहीं कि बारिश की संभावना अब शून्य है। फिर नया सिस्टम बनने पर थंडर स्टार्म होने की स्थिति बनी रहेगी। छत्तीसगढ़ में कहीं-कहीं बारिश की संभावना रहेगी।
खड़ी और कटी, दोनों फसलों को नुकसान
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के डीन डा. जीके दास के अनुसार : पूरे छत्तीसगढ़ में इस बारिश से रबी फसलों को नुकसान हुआ है। इस समय लोकल सब्जियां भी बड़े पैमाने पर आती हैं। ओले, तेज हवा और बारिश से सब्जी की पूरी फसल ही चौपट होने की आशंका है। कृषि विभाग सर्वे करवाकर नुकसान का आंकड़ा तैयार करेगा। प्रदेश में इस साल करीब सवा 19 लाख हेक्टेयर में रबी की फसल ली गई। ज्यादातर किसानों ने कटाई कर ली थी।
इसका भंडारण कर पाते, उससे पहले ही बारिश हो गई। इससे बड़े पैमाने पर खेतों में रखी फसल भीगी है, जिसके खराब होने का खतरा बढ़ गया है। भीगने से चावल की क्वालिटी भी बर्बाद होती है। तेज हवा और ओले गिरने से खड़ी फसल को भी नुकसान पहुंचा है। खेत में पानी भरने और उसमें गिरने के कारण पूरी की पूरी फसल खराब होने का खतरा बढ़ गया है। खेत में पड़े या खड़ी फसल, दोनों गेहूं को खासा नुकसान है।
बच्चे और बुजुर्ग जल्दी होने लगे संक्रमित
मेडिकल कालेज में शिशुरोग एचओडी डा. शारजा फुलझेले के अनुसार : गर्मी में मानसून जैसी बारिश ने सर्दी-खांसी और वायरल बीमारियां बढ़ा दी हैं। अस्पताल जाने वालों में बच्चे और बुजुर्गों की संख्या ज्यादा है। आंबेडकर अस्पताल की मेडिसीन ओपीडी और शिशु रोग विभाग में रोजाना औसतन 125 लोग पहुंचते हैं, पिछले पांच दिन से यह संख्या 200 से ऊपर है।
दोपहर में गर्मी बढ़ रही थी, तभी अचानक बादल घिरे और मौसम में बड़ा बदलाव आ गया। छोटे बच्चे और बुजुर्गों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, इसलिए वे इस मौसम से जल्दी संक्रमित हो गए। बचाव के लिए सबसे जरूरी है भीगने से बचना। संक्रमण लगे तो डाक्टरी सलाह से एंटी वायरल दवाइयां लें। फिजिशियन डा. अब्बास नकवी के अनुसार मौसम में ऐसा चेंज हमेशा बुरा असर करता है। चार-पांच दिनों से प्रदेशभर से वायरल बीमारियों का संक्रमण बढ़ने की सूचनाएं आ रही हैं।
255 फीसदी ज्यादा
प्रदेश में 15 मार्च के बाद बारिश की गतिविधियां बढ़ी हैं। 15 से 16 तक राज्य के कुछ-कुछ हिस्सों में बारिश हुई 17 से 20 मार्च तक राज्य के अधिकांश हिस्सों में जमकर पानी गिरा है। कुछ इलाकों में इतना पानी गिर चुका है कि वह औसत से कई गुना अधिक है। पूरे प्रदेश में 1 से 20 मार्च तक 25.2 मिमी पानी गिरा है। यह औसत 7.1 मिमी से 255 फीसदी अधिक है। अन्य कई जिलों में औसत से 10 से 40 गुना तक ज्यादा पानी गिर चुका है। अधिकांश जिलों में औसत से 200 फीसदी से अधिक वर्षा हुई है।